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बिना पहियों के गोली की रफ्तार से भागती है ये ट्रेन, देखने वालों को नहीं होता आंखों पर यकीन

bullet train: इस ट्रेन में बैठकर आप हजारों किलोमीटर की दूरी कुछ ही घंटों में तय कर सकते हैं लेकिन इससे बड़ी बात ये है कि ट्रेन में कोई भी पहिए नहीं होते हैं.

बिना पहियों के गोली की रफ्तार से भागती है ये ट्रेन, देखने वालों को नहीं होता आंखों पर यकीन
Vineet Singh|Updated: Jul 17, 2024, 03:57 PM IST
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bullet train: मैग्लेव ट्रेन, जिसे मैग्नेटिकली लेविटेटेड ट्रेन भी कहा जाता है, ये एक हाईटेक ट्रेन सिस्टम है जो मैग्नेटिक फ़ोर्स का इस्तेमाल करके ट्रेन को पटरियों से ऊपर उठा देती है और ट्रेन को चलाती है. इस ट्रेन को देखना वाकई में हैरतअंगेज होता है. यकीन मानिए ये एक बेहद ही हाईटेक सिस्टम है जिसमें ट्रेन गोली की रफ़्तार से भागती है. 

यह पारंपरिक ट्रेन्स की तुलना में काफी अलग है

हाई स्पीड: मैग्लेव ट्रेन 500 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति तक पहुंच सकती हैं, जो उन्हें दुनिया की सबसे तेज रेल बनाती हैं.

स्मूद ऑपरेशन: चुंबकीय बल के कारण, मैग्लेव ट्रेन बहुत कम घर्षण के साथ चलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ये बड़ी शान्ति के साथ एक आरामदायक राइड ऑफर करती है.

कम रखरखाव: मैग्लेव ट्रेन में पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कम चलने वाले हिस्से होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कम रखरखाव होता है.

पर्यावरण के अनुकूल: मैग्लेव ट्रेन कम उत्सर्जन करती हैं और पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कम ऊर्जा का इस्तेमाल करती हैं.

मैग्लेव ट्रेन कैसे काम करती हैं:

चुंबकीय बल: मैग्लेव ट्रेन दो प्रकार के चुंबकों का उपयोग करती हैं: इलेक्ट्रोमैग्नेट और स्थायी चुंबक.

इलेक्ट्रोमैग्नेट ट्रेन में लगे होते हैं और विद्युत प्रवाह द्वारा संचालित होते हैं. स्थायी चुंबक पटरियों में लगाए जाते हैं.

इलेक्ट्रिक फ्लो को एडजस्ट करके, इलेक्ट्रोमैग्नेट और स्थायी चुंबकों के बीच आकर्षण या प्रतिकर्षण बल उत्पन्न किया जा सकता है.

यह फोर्स ट्रेन को पटरियों से ऊपर उठाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

मैग्लेव ट्रेन का उपयोग: How Maglev Trains Work

वर्तमान में, मैग्लेव ट्रेनों का उपयोग सीमित है, मुख्य रूप से जापान, चीन और दक्षिण कोरिया में.

हालांकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, मैग्लेव ट्रेनें दुनिया भर में अधिक आम हो सकती हैं.

भारत में मैग्लेव ट्रेन:

भारत सरकार ने मैग्लेव ट्रेन टेक्नोलॉजी को अपनाने में रुचि दिखाई है.

2018 में, भारत सरकार ने मुंबई-पुणे मार्ग पर मैग्लेव ट्रेन के लिए जापान के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

हालांकि, परियोजना अभी भी प्रारंभिक चरण में है और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि उच्च लागत और भूमि अधिग्रहण.

निष्कर्ष:

मैग्लेव ट्रेन भविष्य का ट्रांसपोर्ट हैं जो यात्रियों को उनकी मंजिल पर कम से कम समय पर पहुंचाती हैं. 

ये ट्रेन्स बेहद ही फास्ट हैं, स्मूद हैं और इनकी मेंटेनेंस पर खर्च कम करना पड़ता है. कुल मिलाकर ये पर्यावरण के अनुकूल हैं.

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