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एक फैसला जिसने बदल दिया भारत का पूरा बैंकिंग सिस्टम, 6 प्राइवेट बैंकों को बना दिया था सरकारी, क्यों हुआ था बैंकों का राष्ट्रीयकरण ?

History of Indian Banking system:  आज से 45 साल पहले दूसरी बार भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. एक साथ 6 बैंकों को सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया. इससे पहले 1969 में पहली बार ऐसा हुआ था, जिसके भारतीय बैंकों के लिए नया इतिहास रच दिया.

  एक फैसला जिसने बदल दिया भारत का पूरा बैंकिंग सिस्टम, 6 प्राइवेट बैंकों को बना दिया था सरकारी, क्यों हुआ था बैंकों का राष्ट्रीयकरण ?
Bavita Jha |Updated: Apr 15, 2025, 11:05 AM IST
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Nationalisation of banks: आज से 45 साल पहले दूसरी बार भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. एक साथ 6 बैंकों को सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया. इससे पहले 1969 में पहली बार ऐसा हुआ था, जिसके भारतीय बैंकों के लिए नया इतिहास रच दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहली बार देश के 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का ऐलान किया. दूसरी बार साल 1980 में आज के ही दिन यानी 15 अप्रैल को देश के छह निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. ये बैंक सरकारी नियंत्रण में आ गए.  अब सवाल ये कि आखिर ऐसा क्यों किया गया ? बैंकों को राष्ट्रीयकरण से क्या फर्क पड़ा? इसका क्या फायदा, क्या नुकसान, समझते हैं.  

बैंको के राष्ट्रीयकरण का मतलब?

सबसे पहले जुलाई 1969 में इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत की. पहली बार देश के 14 मुख्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation of Banks) किया था. इसके 11 साल के बाद यानी 1980 में एक बार फिर से 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. आगे बढ़े उससे पहले समझिए कि आखिर ये राष्ट्रीयकरण होता क्या है ? बैंको के राष्ट्रीयकरण का क्या मतलब है? बता दें कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण का मतलब निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाले बैंक यानी प्राइवेट बैंकों को सरकार के अधीन लेना यानी उन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी बहुमत से अधिक यानी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाना. ऐसे में सरकार निजी बैंकों में हिस्सेदारी खरीदकर उसे सरकार के अधीन कर लेती है.  

क्यों किया गया बैंकों का राष्ट्रीयकरण?

बैंकों के राष्ट्रीयकऱम की शुरुआत जरूरत को देखते हुए की गई. 1947 में देश को आजादी तो मिल गई , लेकिन बैंकों पर उद्योगपतियों का वर्चस्व था. जिसकी वजह से बैंकिंग सुविधाएं आम लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच रही थी. तमाम बैंक सिर्फ शहरी इलाकों में थे, गांव और दूर दराज के इलाकों में लोगों तक बैंकों की पहुंच नहीं बढ़ पा रही थी. खासकर किसानों को कर्ज नहीं मिल पा रहा था. साल 1947 और 1955 के बीच, 360 छोटे बैंक डूब गए , लोगों की जमापूंजी डूब गई. बैंकों पर निजी कंपनियों और उद्योगपतियों का अधिकार था, उसलिए वो काले बाजार और जमाखोरी के सौदों में निवेश करने लगे. इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण का मुद्दा उठा. सरकार ने इन बैंकों को अपने नियंत्रण में लेने का फैसला किया.  

इम्पीरियल बैंक बना SBI  

साल 1955 में इम्पीरियल बैंक बनाया गया. यहीं बैंक आगे चलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI) बना. 1969 में सरकार ने 14 बैंकों और 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया. आंध्र बैंक, कॉपरेशन बैंक, न्यू बैंक इंडिया लिमिटेड, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक और विजया बैंक का राष्ट्रीयकरण का फैसला किया गया.   

राष्ट्रीयकरण से फायदा 

बैंकों के राष्ट्रीयकरण से बैंकों की पहुंच गांवों और गरीबों और किसानों तक पहुंचने लगी. बैंको की नई शाखाएं खुलने लगी. जुलाई 1969 को देश में बैंकों की सिर्फ 8,322 शाखाएं थीं जो अब बढ़कर 85 हजार को पार हो गई है. राष्ट्रीयकरण के बाद किसानों को आसानी से बैंकों से लोन मिलने लगा. राष्ट्रीयकरण के बाद कृषि क्षेत्र, एमएसएमई, छोटे कारोबारी, स्वरोजगार आदि को प्रोत्साहन मिला. लोगों को होम लोन से लेकर एजुकेशन लोन आसानी से मिलने लगे.   देश के आर्थिक विकास और अरबों भारतीयों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में योगदान मिलने लगा.  

 

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