HDFC ERGO Survey: हेल्थ पर लगातार बढ़ते खर्च और महंगे होते हॉस्पिटलाइजेशन के बीच लोग तेजी से हेल्थ इंश्योरेंस को तवज्जो दे रहे हैं. देश के 61% जेन Z (Gen Z) और मिलेनियल्स हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करना चाहते हैं. लेकिन जानकारी की कमी कई यूथ को इसे खरीदने से रोकती है. इस हकीकत का खुलासा HDFC ERGO जनरल इंश्योरेंस और नीलसनआईक्यू (NielsenIQ) की तरफ से किये गए हालिया सर्वे में हुआ है. सर्वे में देश के 17 टियर 1 और टियर 2 सिटी के 2200 लोगों को शामिल किया गया. इनमें 1,400 जेन Z और मिलेनियल्स थे.
बढ़ते मेडिकल खर्च से निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस
सर्वे के आंकड़े के अनुसार 37% लोगों ने कहा कि वे बढ़ते मेडिकल खर्च से निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं. 36% ने बताया कि वे हेल्थ चेक-अप जैसे अतिरिक्त फायदे के लिए इसमें निवेश करते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति रुचि रखने के बावजूद भी 44% जेन Z ने कहा कि उन्हें इसके बारे में डिटेल में जानकारी नहीं है. वहीं, 43% मिलेनियल्स की यह सोच है कि उनकी कंपनी का ग्रुप इंश्योरेंस (कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस) काफी है, इसलिए वे अलग से पॉलिसी नहीं खरीदते.
बेहतर डिजिटल सर्विस और पर्सनल सर्विस की मांग
एचडीएफसी ERGO के एमडी और CEO अनुज त्यागी (Anuj Tyagi) ने कहा, 'जेन Z और मिलेनियल्स देश की आबादी का 50% से ज्यादा हिस्सा हैं. वे तेज प्रोसेस, बेहतर डिजिटल सर्विस और पर्सनल सर्विस की मांग कर रहे हैं.' बड़े शहरों में लोग इस तरह की पॉलिसी की चाहत रखते हैं जो अस्पताल में भर्ती होने से पहले के खर्च को कवर करे. कोलकाता (51%), बेंगलुरु (49%), मुंबई (49%) और चेन्नई (47%) के लोग इसे जरूरी मानते हैं.
61% को वेबसाइट पर तुलना करके पॉलिसी लेना पसंद
इसके अलावा हैदराबाद में 30% और मुंबई में 29% लोग प्रीमियम भुगतान को लेकर लचीलापन चाहते हैं. टेक सेवी यूथ इंश्योरेंस लेते समय ह्यूमन हेल्प पर भरोसा करते हैं. 840 जेन Z में से 67% ने कहा कि उन्हें पॉलिसी चुनने में मदद की जरूरत है. 60% लोग ऑफलाइन इंश्योरेंस खरीदते हैं क्योंकि उन्हें एजेंट्स पर भरोसा है. 27% लोग अस्पतालों के नेटवर्क के आधार पर पॉलिसी का सिलेक्शन करते हैं. 24% को आसान और साफ शर्तें चाहिए. 57% जेन Z इंश्योरेंस कंपनी और अपने परिचितों की सलाह पर भरोसा करते हैं. वहीं, 61% मिलेनियल्स ऑनलाइन वेबसाइट्स पर तुलना करके पॉलिसी लेना पसंद करते हैं.
टियर-1 और टियर-2 सिटी क्या है?
टियर-1 ऐसे शहरों को कहा जाता है, जिनकी आबादी एक लाख या उससे ज्यादा होती है. वहीं टियर-2 ऐसे शहर हैं जिनकी आबादी 50,000 से ज्यादा और एक लाख से कम है.