Inflation Rate: महंगाई दर के जनवरी महीने में कम होकर 4.3 प्रतिशत पर आने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए रेपो रेट में कटौती को लेकर गुंजाइश बढ़ी है. नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) ने अपनी मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में यह कहा है. रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में रेपो रेट 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली मीटिंग अप्रैल में होनी है.
समीक्षा में कहा गया कि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भी कुछ प्रमुख आंकड़े... मैन्युफैक्चरिंग के लिए खरीद प्रबंधक सूचकांक, जीएसटी कलेक्शन और वाहन बिक्री इकोनॉमी में बदलाव के संकेत दे रहे हैं. शोध संस्थान ने कहा कि सकल और शुद्ध रूप से जीएसटी कलेक्शन में पिछले महीने क्रमशः 12.3 प्रतिशत और 10.9 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई. जबकि दिसंबर, 2024 में इसमें क्रमश: 7.3 प्रतिशत और 3.3 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई थी.
एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा, ‘महंगाई में कमी (सकल मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत) ने आरबीआई (RBI) के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बना दी है. एग्रीकल्चर सेक्टर में भीभी मजबूती दिख रही है, जो महंगाई नियंत्रण और रूरल इकोनॉमी दोनों के लिए अच्छा संकेत है.’ उन्होंने कहा कि एक अन्य कारक जिस पर नजर रखने की जरूरत है वह है एफआईआई (FII) की लगातार पूंजी निकासी.
गुप्ता ने कहा, अध्ययनों से पता चलता है कि एफआईआई प्रवाह घरेलू कारकों की तुलना में बाहरी कारकों से अधिक प्रेरित होता है. और इसलिए इसकी प्रकृति काफी अस्थिर है. अतीत की तरह, भारत से एफआईआई की निकासी का मौजूदा चरण वैश्विक घटनाक्रमों का परिणाम है. (भाषा)