जेन स्ट्रीट स्कैंडल ने भारतीय शेयर बाजार की मॉनिटरिंग सिस्टम की सबसे बड़े फेल्योर को उजागर कर दिया है. यह सिर्फ एक घोटाले की कहानी नहीं, बल्कि उस सिस्टम की कमजोरी को सामने लाता है, जिस पर करोड़ों इन्वेस्टर्स की मेहनत की कमाई टिकी होती है. लेकिन अब इस गंभीर झटके के बाद स्टॉक एक्सचेंज अलर्ट हो चुके हैं. बाजार में किसी भी तरह की हेराफेरी को रोकने के लिए एक महासर्विलांस सिस्टम की प्लानिंग पर काम शुरू हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, यह नया सिस्टम पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित होगा, जो सिर्फ बड़े नहीं, बल्कि छोटे और आपस में जुड़े ट्रेड्स को भी रियल टाइम में पकड़ने की क्षमता रखेगा.
अब हर ट्रेड पर 'हॉक आई' नजर
जेन स्ट्रीट जैसे प्री-प्लांड मैनिपुलेशन को रोकने के लिए एक मल्टी-लेयर मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है. एक्सचेंज अब सिर्फ वॉल्यूम या वैल्यू पर ध्यान नहीं देंगे, बल्कि ट्रेड के पीछे की मंशा, पैटर्न और टाइमिंग भी जांच के दायरे में आएगी.
‘AI Surveillance 2.0’ का अपग्रेड
अब तक इस्तेमाल हो रहे AI मॉडल्स लाखों-करोड़ों डेटा पॉइंट्स को तेजी से प्रोसेस करने में असफल रहे थे, जिससे जेन स्ट्रीट जैसे मामले पकड़े नहीं जा सके. लेकिन अब AI को तेज, स्मार्ट और संदिग्ध पैटर्न पकड़ने में ज्यादा सक्षम बनाया जा रहा है. हर दिन भारतीय शेयर बाजार में करोड़ों ट्रेड्स होते हैं. अब नया AI सिस्टम माइक्रो लेवल पर सिग्नल पकड़ने में सक्षम होगा. रियल टाइम अलर्ट सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जो जैसे ही किसी संदेहास्पद ट्रेडिंग एक्टिविटी को डिटेक्ट करेगा, तुरंत फ्लैग कर देगा.
एक्सपायरी के आखिरी मिनट बनेंगे 'किल जोन'
जेन स्ट्रीट का पूरा खेल ऑप्शंस एक्सपायरी के दिन, खासकर आखिरी 15-30 मिनट में होता था. यही वजह है कि अब इस टाइम विंडो को सबसे ज्यादा मॉनिटर में रखा जाएगा. लाइव ट्रेड एनालिटिक्स के जरिए, हर बड़ी खरीद या बिक्री की मंशा की पड़ताल होगी. कई छोटे लेकिन सटीक और एक ही दिशा में किए गए ट्रेड्स को भी अब मैनिपुलेटिव माना जाएगा.
छोटे ट्रेड्स भी आएंगे रडार पर
अब तक मान्यता थी कि केवल बड़े ट्रेड्स ही बाजार को प्रभावित करते हैं, लेकिन जेन स्ट्रीट ने यह भ्रम तोड़ दिया. सूत्रों के अनुसार, अगर किसी स्ट्राइक प्राइस को टारगेट करते हुए अलग-अलग अकाउंट्स से एक जैसे ट्रेड्स होते हैं, तो AI उसे तुरंत पहचान लेगा. यह पैटर्न दर्शाता है कि हेरफेर प्लान्ड और नेटवर्क के जरिए हो रही है.
अल्गो सिस्टम की होगी फॉरेंसिक जांच
जेन स्ट्रीट ने हेराफेरी के लिए एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग का भरपूर इस्तेमाल किया. अब एक्सचेंज इसकी कमजोरियों को पहचानकर उसे सुधारने और कंट्रोल करने की तैयारी में हैं. फोरेंसिक जांच शुरू की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि किस अल्गो ट्रेडिंग मॉडल ने किस पैटर्न में मुनाफा कमाया. संदिग्ध ट्रेडिंग अल्गोरिदम्स की पिछली गतिविधियों का भी विश्लेषण किया जाएगा.
बीते सालों की 'Expiry Data' भी होगी दोबारा जांच
केवल भविष्य के ट्रेडिंग की निगरानी नहीं, पुराने डेटा की दोबारा जांच भी की जाएगी. विशेषकर 2022-2024 के एक्सपायरी डेज के आंकड़े अब नए AI मॉड्यूल्स से जांचे जा सकते हैं. इससे यह भी पता लगाया जाएगा कि जेन स्ट्रीट के अलावा और कौन-कौन सी फर्म इस 'खेल' में शामिल थीं.
जेन स्ट्रीट घोटाला: क्या था मामला?
जेन स्ट्रीट एक अमेरिकी हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म है, जिसपर पर आरोप है कि उसने पूर्व सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के कार्यकाल के दौरान भारतीय बाजार में व्यवस्थित ढंग से हेरफेर की. कंपनी ने एक्सपायरी वाले दिन सुबह भारी खरीदारी कर के इंडेक्स को ऊपर धकेला और शाम को अचानक बिकवाली कर के उसे गिरा दिया. इस दौरान वह ऑप्शंस से करोड़ों का मुनाफा कमाती रही. सेबी ने अपने आदेश में कहा कि 17 जनवरी 2024 को ही जेन स्ट्रीट ने ₹735 करोड़ का मुनाफा कमाया. अनुमान है कि कुल अवैध मुनाफा ₹1 लाख करोड़ तक हो सकता है.