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1728 करोड़ रुपये का लोन... Air India की इस डील के पीछे छिपा है कौन सा बड़ा राज?

देश की प्रमुख एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया (Air India) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह है उसका $200 मिलियन (करीब 1728 करोड़ रुपये) का बैंक लोन लेने की योजना.

1728 करोड़ रुपये का लोन... Air India की इस डील के पीछे छिपा है कौन सा बड़ा राज?
Shivendra Singh|Updated: Jul 22, 2025, 05:25 PM IST
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भारत की प्रमुख एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया (Air India) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह है उसका $200 मिलियन (करीब 1728 करोड़ रुपये) का बैंक लोन लेने की योजना. कंपनी ये भारी-भरकम लोन बोइंग-777 विमानों के बेड़े की खरीद के लिए लेना चाहती है. इस डील को लेकर एविएशन इंडस्ट्री में काफी हलचल है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ एक नॉर्मल लोन है या इसके पीछे कोई बड़ा स्ट्रेटेजिक प्लान छुपा हुआ है?

सूत्रों के मुताबिक, एआई फ्लीट सर्विसेज आईएफएससी लिमिटेड (जो कि एयर इंडिया की GIFT City में पंजीकृत सब्सिडियरी है) इस लोन की मुख्य उधारकर्ता कंपनी है. यही इकाई विमानों की खरीद और लीजिंग के काम को संभालती है. एयर इंडिया, जो अब टाटा ग्रुप के अधीन है, इस समय दो ब्रांड- एयर इंडिया (फुल-सर्विस) और एयर इंडिया एक्सप्रेस (लो-कॉस्ट) के जरिए अपना संचालन करती है.

इस फंडिंग को लेकर बातचीत इस साल की शुरुआत में शुरू हुई थी, लेकिन अहमदाबाद में एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के हादसे के बाद चर्चाएं कुछ समय के लिए धीमी पड़ गई थीं. अब एक बार फिर इस डील को लेकर बातचीत तेज हो गई है, हालांकि अंतिम फैसले में बदलाव की संभावना बनी हुई है.

बोइंग 777 विमान
खास बात यह है कि जिन बोइंग 777 विमानों को खरीदा जाना है, वे पहले से ही एयर इंडिया के बेड़े में मौजूद हैं और ऑपरेशन में हैं. ये विमान 11 से 13 साल पुराने हैं और मुख्य रूप से भारत-अमेरिका रूट पर उपयोग किए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि नए विमानों की डिलीवरी में देरी और सप्लाई चेन की दिक्कतों के चलते, एयर इंडिया इन विमानों को पूरी तरह से खरीदने की योजना बना रही है ताकि इंटरनेशनल उड़ानों में रुकावट न आए.

570 नए विमानों का ऑर्डर
टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद से अब तक एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग को 570 नए विमानों का ऑर्डर दिया है, लेकिन उनकी डिलीवरी में समय लग सकता है. इसलिए, कंपनी का यह कदम अस्थायी तौर पर ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने और भविष्य की मजबूती के लिहाज से अहम माना जा रहा है. वित्तीय जानकारों के अनुसार, यह लोन SOFR (Secured Overnight Financing Rate) जैसे अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से लिंक किया जा सकता है, जिससे इसके ब्याज की दरें तय होंगी.

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