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अमेरिका, पाक, चीन कितना भी कर लें बवाल, भारत पर FPI का भरोसा रहेगा कायम

विश्लेषकों ने शनिवार को कहा कि वैश्विक राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण अल्पकालिक अनिश्चितताएं बनी रह सकती हैं, लेकिन, भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह के लिए लॉन्ग-टर्म आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है.

अमेरिका, पाक, चीन कितना भी कर लें बवाल, भारत पर FPI का भरोसा रहेगा कायम
Bavita Jha |Updated: May 24, 2025, 04:40 PM IST
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FPI Outflow: विश्लेषकों ने शनिवार को कहा कि वैश्विक राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण अल्पकालिक अनिश्चितताएं बनी रह सकती हैं, लेकिन, भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह के लिए लॉन्ग-टर्म आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है. क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के रिसर्च हेड प्रमुख और पोर्टफोलियो मैनेजर सौरभ पटवा ने कहा कि ऐसा तभी होगा, जब कॉर्पोरेट आय मौजूदा बाजार मूल्यांकन के अनुरूप होगी, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और निरंतर पूंजी प्रवाह को उचित ठहराया जा सकेगा.  

इतिहास बताता है कि तीव्र एफपीआई बिकवाली के दौर के बाद अक्सर मजबूत उछाल आता है.  हाल के हफ्तों में नए सिरे से रुचि के शुरुआती संकेत सामने आए हैं, जो संभावित आशावाद का संकेत देते हैं. उन्होंने कहा, तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत की स्थिति वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनी हुई है. 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, वैश्विक व्यापार पुनर्गठन और औद्योगिक नीति में बदलाव के बीच, भारत एक कनेक्टर देश के रूप में कार्य करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जो टेक्नोलॉजी, डिजिटल सर्विस और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर में एक प्रमुख मध्यस्थ बन सकता है. आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा और इस साल देश जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.  

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में भारी एफआईआई बिकवाली के बावजूद, भारतीय बाजार ने मजबूती दिखाई, जिसे घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और खुदरा प्रतिभागियों की मजबूत खरीद का समर्थन मिला, जो भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं में निरंतर विश्वास को दर्शाता है. भारत में एफपीआई प्रवाह में हाल की तिमाहियों में आउटफ्लो देखा गया है, जो मुख्य रूप से कमजोर कॉर्पोरेट आय और शहरी खपत में मंदी के कारण हुआ है.  

इन घरेलू चिंताओं को वैश्विक चुनौतियों ने और बढ़ा दिया है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के टैरिफ जैसे संभावित नीतिगत बदलावों के कारण धीमी आर्थिक गति की आशंकाएं, वैश्विक मुद्राओं पर असर, बॉन्ड बाजार और बड़ी वैश्विक कंपनियों के निर्णय लेने में देरी शामिल हैं. आरबीआई ने अपने लेटेस्ट बुलेटिन में कहा कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों के बावजूद भारत वैश्विक चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में है. आईएएनएस

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