Startup Ecosystem In India: विदेशी आलोचकों के बाद देश के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम पर निशाना साधा है. एक कार्यक्रम में स्टार्टअप कंपनियों से उन्होंने पूछा कि क्या देश के युवा सिर्फ खाने-पीने की चीजें घर तक पहुंचाने में ही लगे रहेंगे, या फिर कुछ नया और बड़ा सोचेंगे? "क्या हम सिर्फ डिलीवरी बॉय और गर्ल बनने में ही खुश हैं?"
पीयूष गोयल ने आगे कहा कि ज्यादातर स्टार्टअप्स कंपनियां गहरी तकनीकी (deep-tech) इनोवेशन के बजाय खाना पहुंचाने जैसी सुविधाजनक सेवाओं पर ही ध्यान दे रही हैं. भारत के युवा अब फूड डिलीवरी, फैंटेसी स्पोर्ट्स और शॉपिंग ऐप्स पर मेहनत कर रहे हैं, जबकि चीन जैसे देश डीप-टेक, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सेमीकंडक्टर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निवेश कर रहे हैं.
हमें आइसक्रीम बनाना है या चिप्स?
उन्होंने युवाओं से डिजिटल स्टोरफ्रंट से कहीं बड़ा सपना देखने का आग्रह करते हुए पूछा, "हमें आइसक्रीम बनाना है या चिप्स? दुकानदारी ही करनी है? गोयल ने आगे कहा कि भारत में इस वक्त 1.57 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं और यूनिकॉर्न की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. लेकिन हम ‘स्केल’ का जश्न मना रहे हैं, लेकिन ‘सब्स्टेंस’ यानी मजबूत इनोवेशन का अभाव है.
उन्होंने कहा, "यह स्टार्टअप नहीं, केवल एंटरप्रेन्योरशिप है." गोयल ने स्टार्टअप्स के गिग इकोनॉमी मॉडल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इस मॉडल से बेरोज़गार युवाओं को सिर्फ 'सस्ता लेबर' बनाया जा रहा है, जो अमीर तबके की सहूलियत के लिए काम कर रहे हैं, खाना पहुंचा रहे हैं, सामान डिलीवर कर रहे हैं. ताकि उन्हें घर से बाहर ना निकलना पड़े.
जेप्टो के CEO ने किया पलटवार
केंद्रीय मंत्री की इस टिप्पणी के बाद स्टार्टअप इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने नाराजगी जाहिर की है. जेप्टो के CEO आदित पालीचा ने पीयूष गोयल की भारतीय स्टार्टअप परिवेश तंत्र और इसकी नवाचार प्राथमिकताओं पर की गई टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. पालीचा ने उनकी कंपनी के रोजगार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में योगदान का हवाला देते हुए इसका पुरजोर बचाव किया और इसे ‘‘भारतीय नवाचार में चमत्कार’’ करार दिया.
प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार को बढ़ावा देने में ‘उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों’ द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित करते हुए पालिचा ने तर्क दिया कि स्टार्टअप परिवेश तंत्र, सरकार तथा भारतीय पूंजी के बड़े वर्ग के मालिकों को इन स्थानीय कंपनियों के निर्माण में सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है, "न कि उन कंपनियों को पीछे धकेलने की, जो वहां पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."