Reliance Infra Share Price: अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. छोटे अंबानी की वापसी में उनकी दो कंपनियां रिलायंस इंफ्रा और रिलायंस पावर उनका साथ दे रही हैं. इन दोनों ही कंपनियों के रिजल्ट के दम पर स्टॉक मार्केट में इनके शेयर में भी अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं. अनिल अंबानी को अपनी इस जर्नी में बीच- बीच में कुछ झटके भी लग रहे हैं. अब रिलायंस इंफ्रा लिमिटेड की तरफ से दावा किया गया कि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया को रोक दिया है. एनसीएलएटी (NCLAT) की तरफ से यह फैसला तब आया जब कंपनी ने 92.68 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान कर दिया है. यह एक एनर्जी एग्रीमेंट के तहत टैरिफ दायित्वों से जुड़ा था.
रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ NCLT का क्या आदेश था?
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infra) ने अपनी हालिया रेग्युलेटरी फाइलिंग में बताया कि NCLAT ने उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेश पर रोक लगा दी. 30 मई को एनसीएलटी (NCLT) की मुंबई बेंच ने रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवालियापन प्रोसेस शुरू करने और एक अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त करने का निर्देश दिया था. यह आदेश IDBI ट्रस्टीशिप की तरफ से अप्रैल 2022 में दायर याचिका के बाद आया था. इसमें 28 अगस्त 2018 तक 88.68 करोड़ रुपये और ब्याज के डिफॉल्ट का आरोप लगाया गया था.
रिलायंस ने किया पूरा भुगतान
रेग्युलेटरी फाइलिंग में कंपनी की तरफ से बताया गया कि 2 जून को रिलायंस इंफ्रा के 92.68 करोड़ रुपये का पूरा पेमेंट करने के बाद NCLT का आदेश प्रभावहीन हो गया है. कंपनी ने धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड (DSPPL) को यह पैसा एनर्जी डील एग्रीमेंट के तहत टैरिफ क्लेम के लिए दी. 4 जून को NCLAT ने कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए NCLT के आदेश को सस्पेंड कर दिया. रिलायंस ने बताया, 'कंपनी ने धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड को 92.68 करोड़ रुपये का पूरा पेमेंट कर दिया है.'
रिलायंस ग्रुप के खिलाफ क्या आरोप लगा था?
IDBI ट्रस्टीशिप ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने साल 2017 और 2018 के बीच धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से सोलर एनर्जी सप्लाई के लिए जारी किये गए 10 चालान का पेमेंट नहीं किया. ये भुगतान IDBI ट्रस्टीशिप, जो DSPPL का सिक्योरिटी ट्रस्टी है की तरफ से मांगे गए थे. इस फैसले के बाद अनिल अंबानी की कंपनी को बड़ी राहत मिली है. पेमेंट पूरा होने और NCLAT के आदेश के बाद कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से बच गई है.