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एयर इंडिया की क्रैश वाली विमान की कहानी: बोइंग कभी तकनीकी चमत्कार में तो कभी विवादों वाली उड़ान

15 जुलाई 1916, ये वो तारीख है जब अमेरिका के सिएटल में एक छोटी-सी वर्कशॉप से शुरू हुई एक कंपनी ने भविष्य में आसमान की परिभाषा ही बदल दी.

एयर इंडिया की क्रैश वाली विमान की कहानी: बोइंग कभी तकनीकी चमत्कार में तो कभी विवादों वाली उड़ान
Bavita Jha |Updated: Jul 15, 2025, 07:24 PM IST
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Boeing Plane: 15 जुलाई 1916, ये वो तारीख है जब अमेरिका के सिएटल में एक छोटी-सी वर्कशॉप से शुरू हुई एक कंपनी ने भविष्य में आसमान की परिभाषा ही बदल दी. दुनिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनियों में शुमार बोइंग ने आज से 109 साल पहले जो सपना देखा था, वो न सिर्फ साकार हुआ, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी गूंज सुनाई दी. चाहे वाणिज्यिक विमान हों या रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा मिशन, बोइंग ने अपने हर उत्पाद में तकनीक, शक्ति और प्रतिष्ठा का अद्भुत मेल दिखाया. 

लेकिन, जब इतिहास चमकता है, तब उस पर छाया पड़ा अंधेरा और भी गहरा नजर आता है.  बोइंग का वर्तमान और विशेषकर उसका 'ड्रीमलाइनर 787' मॉडल इस अंधेरे का उदाहरण बनता जा रहा है. 2011 में जब बोइंग ने ड्रीमलाइनर 787 को व्यावसायिक उड़ानों के लिए लॉन्च किया, तब इसे विमानन तकनीक की क्रांति माना गया. हल्के वजन, कम ईंधन खपत, लंबी दूरी की क्षमता, और यात्री-केंद्रित आरामदायक डिजाइन ने इसे दुनिया भर की एयरलाइनों की पहली पसंद बना दिया. 

बोइंग को शुरुआती दस सालों में 1,000 से ज्यादा ड्रीमलाइनर विमानों के ऑर्डर मिले. लेकिन इस 'ड्रीम' विमान की कहानी में शुरू से ही क्रैक्स थे, जिन्हें बोइंग ने नजरअंदाज किया, पर वक्त ने इसे उजागर कर दिया. बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जिसे अपनी उन्नत तकनीक और ईंधन दक्षता के लिए जाना जाता है, अपने इतिहास में कई विवादों से भी घिरा रहा है. 2010 में इस विमान की टेस्ट फ्लाइट के दौरान आग लगने की गंभीर घटना ने इसकी सुरक्षा पर सवाल खड़े किए. इसके बाद, 2013 में लिथियम-आयन बैटरी में खराबी के कारण जापान में बोइंग 787 की आपात लैंडिंग करानी पड़ी, जिसने इसकी तकनीकी विश्वसनीयता पर और संदेह पैदा किया. हाल के वर्षों में, 2023-2024 के दौरान बोइंग के अंदर से ही विवादों की आवाजें तेज हुईं, जब पूर्व इंजीनियरों ने कंपनी की निर्माण प्रक्रिया और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठाए.

 इन घटनाओं ने बोइंग 787 के इतिहास को एक अनसुलझा और विवादास्पद अध्याय बना दिया है, जिसने इसकी छवि को प्रभावित किया है.बोइंग अक्सर आलोचनाओं का यह कहकर खंडन करता रहा है कि ड्रीमलाइनर आज तक कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ. लेकिन, 2025 में एयर इंडिया की अहमदाबाद-लंदन उड़ान संख्या एआई-171 के ड्रीमलाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह आखिरी बची ढाल भी टूट गई. इस हादसे ने न सिर्फ ड्रीमलाइनर की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया बल्कि बोइंग की पूरी सुरक्षा संस्कृति पर भी सवाल उठाए.  क्या बोइंग ने नवाचार की दौड़ में सुरक्षा से समझौता किया.

बोइंग ने हमेशा से यह दावा किया है कि सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. कंपनी का कहना है कि निर्माण प्रक्रिया में किसी भी तरह की समस्या विमान की मजबूती या उड़ान योग्यता को प्रभावित नहीं करती. लेकिन, जब खुद कंपनी के अंदर से उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हों, तब ये दावे जनता और नियामकों के बीच अपना विश्वास खो बैठते हैं.1916 में विलियम बोइंग ने जिस साहस से कंपनी की नींव रखी थी, उस विरासत को बोइंग ने पिछले 100 सालों में मजबूती से आगे बढ़ाया. आज यह कंपनी तीन प्रमुख क्षेत्रों, वाणिज्यिक हवाई जहाज, रक्षा, अंतरिक्ष एवं सुरक्षा और वैश्विक सेवाएं में दुनिया भर की जरूरतें पूरी कर रही है.  150 देशों में सेवाएं, 1,70,000 से अधिक कर्मचारी और लाखों सप्लायर्स के साथ, बोइंग तकनीक और अवसर का प्रतीक बन चुकी है.

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