US Russia Tension: मौजूदा समय में 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे चल रहे क्रूड ऑयल में आने चाले महीनों में तेजी आने की संभावना है. क्रूड ऑयल की कीमत में तेजी आई तो इसका असर महंगाई के रूप में देखने को मिल सकता है. अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव से आने वाले महीनों में क्रूड ऑयल की ग्लोबल कीमत में भारी उछाल देखने को मिल सकता है. अमेरिका और रूस के बीच बढ़ती टेंशन के कारण ग्लोबल ऑयल सप्लाई चेन बाधित हो सकती है. इससे ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 80 से 82 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
120 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती हैं कीमत
ऑयल मार्केट से जुड़े जानकारों का कहना है कि यदि जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ती है. खासकर यदि अमेरिका, रूस के साथ ट्रेड करने वाले देशों पर बैन या 100 प्रतिशत टैरिफ लगाता है तो ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती हैं. जानकारों का कहना है ब्रेंट क्रूड का अक्टूबर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट 72.07 डॉलर से बढ़कर 76 डॉलर तक पहुंच सकता है. साल 2025 के अंत तक यह 80-82 डॉलर तक जा सकता है. इसका मिनिमम सपोर्ट लेवल 69 डॉलर का है.
युद्ध समाप्त करने के लिए 12 दिन की टाइम लिमिट
इसके अलावा डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल का सितंबर कॉन्ट्रैक्ट फ्यूचर अभी 69.65 डॉलर पर है. जल्द ही यह 73 डॉलर पर पहुंच सकता है. 2025 के अंत तक यह 76-79 डॉलर रह सकता है. इसका मिनिमम सपोर्ट लेवल 65 डॉलर का है. इस हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से रूस को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए 10-12 दिन की टाइम लिमिट दी गई है. अगर रूस ऐसा नहीं करता तो उस पर एक्सट्रा बैन और अन्य देशों के साथ ट्रेड करने पर 500 प्रतिशत तक का टैरिफ लग सकता है. इस बारे में ट्रंप की तरफ से पहले ही ऐलान किया जा चुका है. इससे तेल की कीमत में तेजी आ सकती है.
रूस, भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर देश
ऐसे में रूस से तेल आयात करने वाले देशों को सस्ते क्रूड और अमेरिकी निर्यात पर लगने वाले भारी टैरिफ के बीच में से किसी एक को सिलेक्ट करना होगा. वेंचुरा सिक्योरिटीज के कमोडिटीज हेड एनएस रामास्वामी ने बताया कि यह स्थिति ऑयल मार्केट में बड़ा बदलाव ला सकती है. प्रोडक्शन में गिरावट और सप्लाई में रुकावट से 2026 तक मार्केट में तेल की कमी हो सकती है. रूस और यूक्रेन की जंग के बाद भारत का रूस से ऑयल इम्पोर्ट काफी बढ़ गया है. पहले भारत रूस से महज 0.2 प्रतिशत तेल इम्पोर्ट करता था. लेकिन अब यह बढ़कर 35-40 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
भारतीय बाजार में क्या होगा असर?
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 2025 के अंत तक 80-82 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना है. इसका भारतीय बाजार पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है. भारत अपनी तेल जरूरत का 35-40 प्रतिशत रूस से आयात करता है. अगर अमेरिका-रूस के बीच तनाव बढ़ने से रूसी तेल की सप्लाई रुकती है या कीमतें बढ़ती हैं तो देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं. इससे महंगाई पर असर पड़ेगा और आम आदमी इससे प्रभावित होगा. ट्रांसपोर्टेशन बढ़ने से खाने की चीजों के अलावा दूसरे सामान के दाम भी बढ़ सकते हैं. ऑयल इम्पोर्ट पर देश का खर्च बढ़ेगा, जिससे ट्रेड डेफिसिट और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है.
रूस इस समय भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर देश है. अगर रूसी तेल की सप्लाई रुकती है तो कीमत में जोरदार उछाल आ सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मंशा है कि तेल की कीमतें कम हों लेकिन अमेरिका में ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने में समय, कैपिटल और बेसिक इंफ्रा की जरूरत है. सऊदी अरब और कुछ ओपेक देश सप्लाई की कमी को पूरा करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा. हाल ही में अमेरिका-यूरोपीय संघ ट्रेड एग्रीमेंट ने ऑयल मार्केट को कुछ सहारा दिया है. लेकिन जियो-पॉलिटिकल टेंशन और अमेरिकी डॉलर की मजबूती तेल की कीमत पर दबाव बना रही है.