Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी शनिवार को 11 बजे देश का आम बजट पेश करेंगी. वैसे तो हर साल का आम बजट देश के आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि बजट अगल वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की नीतियों की दिशा तय करता है. लेकिन बजट 2025-26 और भी खास होगा, क्योंकि इसके साथ निर्मला सीतारमण उन गिने-चुने वित्त मंत्रियों में शामिल हो जाएंगी, जिन्होंने आठ बार केंद्रीय बजट पेश किया है.
अब तक भारत में केवल तीन वित्त मंत्रियों- मोरारजी देसाई, पी. चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी को आठ या उससे अधिक बार बजट पेश करने का मौका मिला है. निर्मला सीतारमण इस सूची में शामिल होकर इतिहास रचेंगी.
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का सबसे अहम बजट
हालांकि, इस साल का केंद्रीय बजय निर्मला सीतारमण के लिए चुनौतियों वाला हो सकता है. इस साल का बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जब देश की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है.
देश की विकास दर धीमी हो रही है और इस वित्तीय वर्ष के लिए यह 6.4% रहने का अनुमान है, जबकि FY26 में यह 7% से कम रहने की संभावना है. खुदरा महंगाई लगातार बनी हुई है और FY25 में इसका औसत 4.8% रहने का अनुमान है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ अब भी सुस्त है. इसके अलावा रोजगार सृजन, श्रमिकों का कौशल विकास (स्किलिंग और अपस्किलिंग) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सहयोग देना भी बड़ी चुनौतियों में शामिल हैं.
किस सेक्टर को क्या हैं उम्मीदें?
महंगाई और स्थिर वेतन वृद्धि से जूझ रहे मिडिल क्लास को जहां इस बजट से राहत की उम्मीद है. वहीं, सस्टेनेबिलिटी और संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भरता पर पहले से कहीं अधिक फोकस की उम्मीद है. आइए जानते हैं कि इस बजट से किस सेक्टर को क्या उम्मीदें हैं?
मिडिल क्लास: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गरीब और मध्यम वर्ग के उत्थान के लिए धन की देवी का आह्वान करने के बाद आयकर में राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. खासकर निम्न मध्यम वर्ग को बजट में कुछ राहत मिल सकती है.
रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम पर फोकस की उम्मीद: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है. यहां सालाना 32 लाख टन से ज्यादा ई-कचरा पैदा होता है. समय की मांग को देखते हुए इस बजट में सस्टेनेबिलिटी और संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भरता पर पहले से कहीं अधिक फोकस की उम्मीद है.
औद्योगिक और सर्विस सेक्टर पर फोकस: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में शुक्रवार को कहा गया कि राज्यों को औद्योगिक या सेवा क्षेत्रों में वृद्धि हासिल करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर व्यावसायिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु की देश के कुल इंडस्ट्रीयल ग्रॉस स्टेट वैल्यू एडेड (जीएसवीए) में हिस्सेदारी 43 प्रतिशत के करीब है. वहीं, सिक्किम और असम को छोड़कर छह पूर्वोत्तर राज्यों की कुल जीवीए में हिस्सेदारी 0.7 प्रतिशत है.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश होगा जोर: भारत को वृद्धि की ऊंची रफ्तार को बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है. इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 में कहा गया है कि भारत को उच्च वृद्धि दर बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में अवसंरचना निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है.