Budget income tax Slab: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट का टैबलेट लेकर संसद भवन पहुंच चुकी हैं और कुछ ही पलों में बजट भाषण की शुरुआत करेंगी. बजट को लेकर सबसे बड़ी उम्मीदें मिडिल क्लास और टैक्सपेयर्स की होती है, जो सबसे ज्यादा महंगाई से प्रभावित होता है. हर बार की तरह इस बार भी लोगों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री टैक्स में राहत देंगी. अगर ये राहत मिलती है तो जानिए सैलरी में आपकी कितनी छूट मिल सकती है.
इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद
जिस तरह से अर्थव्यवस्था की परिस्थितियां बन रही हैं उससे उम्मीद बढ़ गई है कि इस बार बजट में टैक्स में राहत मिल सकती है. बजट सत्र के लिए संसद भवन पहुंचे पीएम मोदी ने भी इशारा किया कि इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है. देश की जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती को देखते हुए खपत को बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स में छूट देने की मांग की जा रही है. ऐसे में उम्मीद बढ़ गई है कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में टैक्सपेयर्स को कुछ छूट मिल सकती है ताकि खपत बढ़े और देश की जीडीपी ग्रोथ को रफ्तार मिल सके, अगर लोगों के हाथों में डिस्पोजेबल इनकम बढ़ती है तो खपत भी बढ़ेगा, जिसका फायदा इकोनॉमी को मिलने वाला है.
क्या है टैक्स में छूट की संभावना
उम्मीद है कि इस बार टैक्स में छूट मिल सकती है. इसके लिए दो कयास लगाए जा रहे हैं, पहली कि टैक्स लिमिट बढ़ा दी जाए. दूसरी ये कि टैक्स स्लैब में बदलाव करके राहत दी जाए. अगर ऐसा होता है तो महंगाई की मार से जूझ रहे मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ कुछ कम होगा. जेब में ज्यादा पैसे बचेंगे और देवी लक्ष्मी की कृपा बरसेगी.
कितनी हो सकती है बजट
पिछले बजट में भी वित्त मंत्री ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्डैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये किया था. उन्होंने दावा किया था कि इससे करदाताओं को 17 हजार 5 सौ रुपये की बचत होगी. वहीं इस भी उम्मीद है कि वित्त मंत्री स्टैंडर्ड डिडक्शन को 75 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर सकती हैं. अगर ऐसा होता है कि आपकी सैलरी और बच सकेंगी. बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन वो अमाउंट होता है जो टैक्स पेयर्स की सैलरी से काटा जाता है. इससे टैक्सेबल इनकम कम होती है. यानी अगर सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी सिर्फ बढ़ा दें कि आपकी इनहैंड सैलरी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही टीडीएस कम कटेगा.
10 लाख तक की इनकम हो टैक्स फ्री
टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि नएर पुराने टैक्स रिजीम में बदलाव हो. बेसिक छूट की लिमिट ₹10 लाख रुपये की जाए. 2024-25 में इनकम टैक्स फाइल करते हुए 72 फीसदी लोगों ने नए टैक्स सिस्टम को चुना. लोग नए टैक्स रिजीम के तहत 10 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री हो ये चाहते हैं, जो फिलहाल 7 लाख है.
कब-कब हुआ इनकम टैक्स में बदलाव
वित्त वर्ष1974-75 में वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने इनकम टैक्स की ऊपरी सीमा 97.75% से घटाकर 75% कर दी
वित्त वर्ष 1985-86 में वी.पी. सिंह ने टैक्स स्लैब्स की संख्या 8 से घटाकर 4 कर दी. 1 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 50% टैक्स लागू किया.
वित्त वर्ष1992-93 में मनमोहन सिंह ने टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा. 30-50 हजार पर 20%, 50 हजार-1 लाख पर 30% और 1 लाख से ऊपर 40% टैक्स तय हुआ.
वित्त वर्ष 1994-95 में पहले स्लैब को 35-60 हजार की आय के लिए 20% पर रखा गया. वहीं 60 हजार-1.2 लाख पर 30% और 1.2 लाख से ऊपर 40% टैक्स तय हुआ.
वित्त वर्ष 1997-98 में पी. चिदंबरम ने टैक्स में बड़ी कटौती कर 40-60 हजार रुपये पर 10%, 60 हजार-1.5 लाख पर 20% और उससे ऊपर 30% टैक्स लागू कर दिया. इस बजट ड्रीम बजट का नाम दिया गया
वित्त वर्ष 2005-06 में 1 लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया गया.
वित्त वर्ष 2010-11 में प्रणब मुखर्जी ने 1.6 लाख तक की आय को टैक्स फ्री किया
वित्त वर्ष 2012-13 में टैक्स छूट सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई.
वित्त वर्ष 2017-18 में अरुण जेटली ने 2.5-5 लाख की आय पर टैक्स 10% से घटाकर 5% किया
वित्त वर्ष 2020-21 में‘न्यू टैक्स रिजीम’ पेश किया गया, जिससे टैक्स स्लैब को आसान बनाया गया.