India China Relation: भारत सरकार द्वारा चीनी अधिकारियों को वर्क परमिट जारी करने को लेकर बरती जा रही कड़ाई से चीनी कंपनियां परेशान हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत में वर्क परमिट हासिल करने में चीनी अधिकारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
मजबूरी का आलम यह है कि भारतीय और चीनी कंपनियों के प्रमुख अधिकारियों के बीच होने वाली बिजनेस मीटिंग अब अक्सर आस-पास के देशों में आयोजित की जा रही हैं. ये बैठकें खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स सेक्टर में पार्टनरशिप को बनाए रखने और ऑपरेशनल विस्तार के लिए जरूरी हैं.
आस-पास के देशों में कर रहे मीटिंग
ईटी ने इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के हवाले से लिखा है कि वनप्लस इंडिया के सीईओ रॉबिन लियू, ओप्पो इंडिया के कंट्री हेड फिगो झांग, रियलमी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट माइकल गुओ और विवो इंडिया के प्रमुख जेरोम चेन जैसे कई चीनी कारोबारी अब भारत में नहीं रहते हैं. ऐसे में कंपनी के प्रमुख अधिकारियों से मीटिंग के लिए उन्हें पड़ोसी देश की ओर रुख करना पड़ रहा है.
वनप्लस इंडिया के सीईओ रॉबिन लियू ने पिछले महीने बैंकॉक में मोबाइल फोन रिटेलर्स के साथ बैठक की. वहीं, ओप्पो इंडिया ने नवंबर में बाली में एक कॉन्क्लेव आयोजित किया. रियलमी ने भी हाल ही में थाईलैंड में बड़े रिटेलर्स के साथ बैठक की.
चीनी अधिकारियों को नहीं मिल रहा वर्क वीजा
टीवी मैन्युफैक्चरर कंपनी Hisense ने दिवाली से पहले दुबई में इंडियन ट्रेड पार्टनर्स के साथ मीटिंग की. यहां तक कि कंपनी की प्रोडक्ट टीम भी अब दुबई से ही काम करती है. हालांकि, किसी भी कंपनी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
दरअसल, कोविड महामारी के दौरान भारत में चीनी कंपनियों की सीनियर मैनेजिंग टीम के लोग वापस चीन चले गए थे. कोविड महामारी खत्म होने के बाद ये लोग फिर से भारत में वर्क वीजा के लिए परमिट के आवेदन कर रहे हैं. लेकिन कई आवेदनों के बावजूद उन्हें अभी तक भारतीय वीजा नहीं मिला है.