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मेट्रो से रोज चलने वालों को भी नहीं पता ये बात, ट्रेन आने से पहले पता चल जाता है, कौन सा कोच खाली

DMRC PIDS System: मेट्रो स्‍टेशन पर लगे PIDS पर ट्रेन के आने के समय के साथ ही यह भी पता चल जाता है क‍ि कोच C1, C2, C3.... की स्‍थ‍िति क्‍या है. क‍िस कोच में क‍ितने प्रत‍िशत लोग बैठे हैं. 

मेट्रो से रोज चलने वालों को भी नहीं पता ये बात, ट्रेन आने से पहले पता चल जाता है, कौन सा कोच खाली
Kriyanshu Saraswat|Updated: May 22, 2025, 11:53 AM IST
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Delhi Metro Tips: द‍िल्‍ली-एनसीआर की लाइफलाइन कही जाने वाली मेट्रो में सफर तो बहुत से लोग करते हैं. लेक‍िन इससे जुड़े ट‍िप्‍स एंड ट्र‍िक्‍स की जानकारी सभी को नहीं होती. द‍िल्ली मेट्रो के जर‍िये आप आसानी से कम क‍िराये में एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच सकते हैं. लेक‍िन क्‍या आपको पता है क‍ि द‍िल्‍ली मेट्रो की तरफ से ऐसी भी सुव‍िधा मुहैया करायी जाती है ज‍िससे मेट्रो के स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही आपको पता चल जाता है क‍ि कौन सा कोच सबसे कम भरा होगा? इस सुव‍िधा का फायदा उठाकर आप उसी कोच का रुख कर सकते हैं, ज‍िसमें कम भीड़ हो. हो सकता है उस कोच में पहुंचने पर आपको सीट भी म‍िल जाए.

पीक ऑवर्स में ज्‍यादा भीड़

दिल्ली मेट्रो में पीक ऑवर्स में सुबह 8 से 12 और शाम 5 से 9 बजे तक ज्‍यादा भीड़ रहती है. इस दौरान कोच में सीट तो दूर खड़े होने तक में मशक्‍कत का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आपको ट्रेन के प्‍लेटफॉर्म पर आने से पहले ही यह पता चल जाए क‍ि क‍िस कोच में खाली स्‍पेस है तो यह क‍िसी वरदान से कम नहीं होगा. जी हां, आपको भले ही इस पर यकीन न हो लेक‍िन द‍िल्‍ली मेट्रो की तरफ से इस तरह की सुव‍िधा यात्र‍ियों को दी जाती है. कोच की स्‍थ‍िति और यात्र‍ियों की संख्या का पता लगाने के लि‍ए आप प्लेटफॉर्म पर लगे पैसेंजर इंफॉर्मेशन डिस्प्ले सिस्टम (PIDS) की मदद ले सकते हैं.

क‍िस कोच में क‍ितने प्रत‍िशत लोग, यह जानकारी म‍िलेगी
पीआईडीएस (PIDS) के जर‍िये आप यह अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं क‍ि कौन सा कोच खाली है और कौन सा भरा हुआ है? मेट्रो स्‍टेशन पर लगे PIDS पर ट्रेन के आने के समय के साथ ही यह भी पता चल जाता है क‍ि कोच C1, C2, C3.... की स्‍थ‍िति क्‍या है. क‍िस कोच में क‍ितने प्रत‍िशत लोग बैठे हैं. द‍िल्ली मेट्रो की तरफ से इस सुव‍िधा को इसलि‍ए शुरू क‍िया गया है क्‍योंक‍ि कई बार यात्री बेतरतीब ढंग से किसी भी कोच में चढ़ जाते हैं. भीड़ वाले कोच में चढ़ने के बाद उन्हें परेशानी होती है, जबकि उसी ट्रेन के दूसरे कोच में कम भीड़ होती है. यह इसलिए होता है क्योंकि बाकी कोच में क‍ितनी भीड़ है, इस बारे में यात्र‍ियों को जानकारी ही नहीं होती.

यह सुव‍िधा द‍ि‍ल्‍ली मेट्रो के हर रूट पर नहीं म‍िल रही
जानकारी के अनुसार दिल्ली मेट्रो की तरफ से एक सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से हर कोच के वजन को उसके खाली कोच वाले वजन से कम्‍पेयर करके ट्रेन में भीड़ के प्रत‍िशत की जानकारी दी जाती है. यह एक अनुमान के ह‍िसाब से बताया जाता है क‍ि कौन का कोच कितना भरा हुआ है. हालांकि, अभी यह सुव‍िधा द‍ि‍ल्‍ली मेट्रो के हर रूट पर नहीं दी जाती. ट्रायल के तौर पर इस सुव‍िधा को दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन (Magenta Line) पर शुरू क‍िया गया है.

पहले सभी मेट्रो स्टेशन पर पीआईडीएस (PIDS) के जर‍िये यह शो होता है क‍ि अगली ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर पहुंचने में कितना समय लगेगा. लेक‍िन ट्रायल के तहत मैजेंटा लाइन के स्टेशनों पर लगे PIDS पर हर कोच में यात्रियों के बैठने का प्रतिशत भी दिख रहा है. इससे यात्री यह अंदाजा लगा सकते हैं क‍ि कौन से कोच कम भरे हुए हैं? योजना पर काम कर रहे अधिकारी ने बताया कि कोच में यात्र‍ियों का प्रतिशत एक सॉफ्टवेयर के जर‍िये तय किया जाता है. यह स‍िस्‍टम हर कोच में वजन को मापता है और उसकी तुलना खाली कोच के वजन से करता है. मजेंटा लाइन पर ट्रायल सफल होने के बाद इस सुव‍िधा को दूसरे रूट पर भी शुरू क‍िया जा सकता है. 

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