Bank Deposit Insurance: पिछले एक साल के दौरान कई बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. आरबीआई (RBI) ने कुछ बैंकों के पास पर्याप्त धनराशि नहीं होने पर इन्हें बंद करने का फैसला किया. बैंक बंद होने पर इसमें पैसा जमा करने वाले लोग अक्सर चिंता में आ जाते हैं. बहुत से लोगों को इसमें नुकसान भी होता है. लोग इस चीज को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनके अकाउंट में जमा पैसे का क्या होगा? इस तरह की किसी भी परेशानी से राहत देने के लिए बैंक डिपॉजिट का इंश्योरेंस होता है.
इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने की तैयारी चल रही
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की तरफ से बैंक अकाउंट में जमा 5 लाख रुपये तक की जमा पूरी तरह सुरक्षित रहती है. लेकिन यदि किसी के अकाउंट में इससे ज्यादा पैसा जमा होता है तो वो पैसा वापस नहीं मिलता. अब खबर आ रही है कि सरकार की तरफ से पांच लाचा रुपये के इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. बिजनेस स्टैंटर्ड में प्रकाशित खबर के अनुसार इस लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की तैयारी चल रही है.
बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस क्या है?
बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एक तरह की गारंटी है. इसका मतलब यह है कि यदि कोई बैंक डूब जाता है तो आपके बैंक में जमा पैसों में से एक तय रकम सुरक्षित रहेगी और आपको वापस मिल जाएगी. अभी तक इस इंश्योरंस का फायदा 5 लाख रुपये तक के जमा पैसों पर मिलता है. इसे पांच साल पहले तय किया गया था. इसका सीधा सा मतलब हुआ कि यदि आपने बैंक में 5 लाख रुपये या इससे ज्यादा जमा किए हैं और बैंक दिवालिया हो गया तो आपको कम से कम 5 लाख रुपये तो जरूर वापस मिलेंगे.
क्या बदलाव होने वाला है?
एक अधिकारी ने बताया है कि सरकार अगले छह महीने के अंदर इस इंश्योरेंस की लिमिट को बढ़ाने पर विचार कर रही है. हालांकि, अभी यह तय नहीं किया जा सका कि नई लिमिट को बढ़ाकर कितना किया जाएगा. लेकिन अधिकारी ने यह साफ संकेत दिया कि यह लिमिट 10 लाख तक रहेगी. इसका मतलब है कि यदि आने वाले समय में कोई बैंक डूबा तो आपको 5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम सुरक्षित मिल सकेगी.
कौन से अकाउंट कवर होते हैं?
यह इंश्योरेंस डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) नामक संस्था की तरफ से दिया जाता है. इसके दायरे में सभी तरह के डिपॉजिट अकाउंट आते हैं. इस इंश्योरेंस के तहत सेविंअ अकाउाट (Savings Accounts), करंट अकाउंट (Current Accounts) और कस्टमर की तरफ से कमर्शियल (Commercial) और सहकारी (Cooperative) बैंकों में रखी गई सभी प्रकार की जमा आती है.