GST Collection in July: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इंडियन इकोनॉमी मजाक बनाते हुए इसे 'डेड इकॉनमी' कहा था. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के आंकड़ों से अब अमेरिकी राष्ट्रपति की बोलती बंद हो जाएगी. जी हां, इंडियन इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है. शुक्रवार को आए जुलाई महीने के जीएसटी कलेक्शन के आकड़ों ने ट्रंप को भारतीय अर्थव्यव्था के बारे में एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है. जुलाई महीने का जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
सातवें महीने 1.8 लाख करोड़ के पार कलेक्शन
जून महीने के मुकाबले जुलाई में देश का जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) 7.5% बढ़ गया है. इसके साथ ही यह एक बार फिर से रिकॉर्ड 1,95,735 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. सरकार की तरफ से शुक्रवार (1 अगस्त) को जारी किये गए डाटा से इससे जुड़ी जानकारी सामने आई है. यह लगातार सातवां महीना है जब जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. इतना ही नहीं अप्रैल-जुलाई 2025 में कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले 10.7% बढ़कर 8,18,009 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
जब 2.37 लाख करोड़ हुआ था जीएसटी कलेक्शन
अप्रैल के महीने में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 2.37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. जुलाई 2024 में यह 1.82 लाख करोड़ रुपये और पिछले महीने 1.84 लाख करोड़ रुपये था. जुलाई के महीने में डोमेस्टिक रेवेन्यू 6.7% बढ़कर 1.43 लाख करोड़ रुपये और इम्पोर्ट ड्यूटी 9.5% बढ़कर 52,712 करोड़ रुपये हो गई. GST रिफंड पिछले साल के मुकाबले 66.8% बढ़कर 27,147 करोड़ रुपये हो गया. नेट GST रेवेन्यू जुलाई 2025 में 1.69 लाख करोड़ रुपये रहा. यह पिछले साल के मुकाबले 1.7 फसदी ज्यादा है.
पीयूष गोयल ने दिया था जोरदार जवाब
पिछले दिनों केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा था कि इंडियन इकोनॉमी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. कुछ ही सालों में भारत तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की राह पर है. आज जीएसटी कलेक्शन के रिकॉर्ड आंकड़ों ने सरकार की बात की तस्दीक कर दी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि भारत एक दशक से भी कम में 'फ्रैजाइल फाइव' (5 कमजोर इकोनॉमी) की कैटेगरी से बाहर आ गया है. 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से भारत दुनिया की शीर्ष 5 इकोनॉमी में शामिल हो गया है.
जानकारों का कहना कि ग्लोबल दबाव और अस्थायी गिरावट के बावजूद इकोनॉमी में स्थिर खपत और लगातार ग्रोथ दिख रही है. 'सरकार का टाइम पर रिफंड प्रोसेस बिजनेस के लिए मददगार है, जो उन्हें काम करने के लिए कैपिटल देता है. यह केवल एक्सपोर्ट ही नहीं बल्कि डोमेस्टिक सप्लाई के लिए भी है.