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Essel Group का Kotak AMC पर बड़ा एक्शन! 13 करोड़ के लिए NCLT में घिरी कंपनी, जानें क्या है मामला?

करार में साफ लिखा था कि कोटक AMC को यह रकम कुछ शर्तों के पूरा होने के बाद कोंटी इंफ्रापावर को लौटानी होगी. ये शर्तें थीं, जब SEBI कोटक AMC की अप्रैल 2019 से मार्च 2020 की रूटीन सालाना जांच पूरी कर लेगा, तब SEBI इस जांच पर अपनी रिपोर्ट जारी कर देगा.

Essel Group का Kotak AMC पर बड़ा एक्शन! 13 करोड़ के लिए NCLT में घिरी कंपनी, जानें क्या है मामला?
Kriyanshu Saraswat|Updated: Jun 25, 2025, 06:02 PM IST
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कॉरपोरेट जगत में एस्सेल ग्रुप और एसेट मैनेजमेंट कंपनी कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) आमने-सामने हैं। एस्सेल ग्रुप की एक कंपनी ने कोटक AMC पर 12.99 करोड़ रुपये की देनदारी का आरोप लगाते हुए उसे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच में घसीट लिया है. मामला इतना गंभीर है कि अगर कोटक AMC हारी, तो उस पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की तलवार लटक सकती है. आखिर ये 13 करोड़ का मामला है क्या और कहां पेंच फंसा है. आइये समझते हैं.

एक समझौते से शुरू हुई कहानी

एस्सेल ग्रुप की कंपनी 'कोंटी इंफ्रापावर एंड मल्टीवेंचर्स' ने NCLT में याचिका दायर की है. कोंटी का कहना है कि उसने 6 अप्रैल, 2019 को कोटक AMC के साथ करार किया था. इस समझौते के तहत, कोंटी ने कोटक AMC को 12.99 करोड़ रुपये एडवांस दिए थे.

पैसा क्यों दिया गया और यह वापस कब मिलना था?
यहीं पर सारा पेंच फंसा है. समझौते में साफ लिखा था कि कोटक AMC को यह रकम कुछ शर्तों के पूरा होने के बाद कोंटी इंफ्रापावर को लौटानी होगी. ये शर्तें थीं. जब SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) कोटक AMC की अप्रैल 2019 से मार्च 2020 की रूटीन सालाना जांच पूरी कर लेगा, तब SEBI इस जांच पर अपनी रिपोर्ट जारी कर देगा. इसके बाद कोटक AMC अपने यूनिट होल्डर्स (निवेशकों) का पैसा चुका देगी, जो एक NCD (नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर) से जुड़ा था.

SEBI ने मार्च 2023 को अपनी जांच रिपोर्ट दी
कोंटी इंफ्रापावर का दावा है कि ये सारी शर्तें अब पूरी हो चुकी हैं. SEBI ने 28 मार्च, 2023 को अपनी जांच रिपोर्ट भी दे दी है और कोटक AMC ने अपने निवेशकों का पैसा भी लौटा दिया है. कोंटी का कहना है कि जब उन्होंने 6 जुलाई 2022 को कोटक को चिट्ठी लिखकर अपना पैसा वापस मांगा, तो कोटक ने 28 जुलाई 2022 को जवाब में कहा कि SEBI की जांच अभी पूरी नहीं हुई है. कोंटी के मुताबिक, यह सिर्फ एक बहाना था.

ट्रांजैक्शन का पूरा बैकग्राउंड क्या है?
यह मामला असल में एस्सेल ग्रुप की कंपनियों की तरफ से जारी किए गए 20 करोड़ रुपये के NCDs से जुड़ा है. इन NCDs को कोटक AMC ने खरीदा था, जिसके बदले में ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर गिरवी रखे गए थे. बाद में, फरवरी 2019 में कोटक AMC ने ये 20 करोड़ के NCDs कुछ दूसरे निवेशकों को बेच दिए. इसी सौदे के हिस्से के रूप में कोंटी इंफ्रापावर ने कोटक AMC को 12.99 करोड़ रुपये एडवांस दिए थे.

एस्सेल ग्रुप के प्रवक्ता की तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है। उनका कहना है, "कोंटी इंफ्रापावर ने NCDs के तहत कोटक AMC को पूरा भुगतान सितंबर 2019 में ही कर दिया था. यह जो 12.99 करोड़ का मामला है, यह एक अलग लेनदेन है, जिसमें कोंटी ने कोटक AMC को एडवांस दिया था. कोटक AMC को यह पैसा कुछ मील के पत्थर पूरे होने पर लौटाना था, जिसे चुकाने में वे डिफॉल्ट कर गए हैं. इसीलिए हमें उनके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए याचिका दायर करनी पड़ी."

कोर्ट में कोटक AMC ने क्या बहाना बनाया?
जब मामला NCLT में सुनवाई के लिए आया, तो कोटक AMC की तरफ से वरिष्ठ वकील गौरव जोशी पेश हुए. उन्होंने इस याचिका को ही खारिज करने की मांग की और दलीलों का एक जाल बुनना शुरू कर दिया. गौरव जोशी ने कहा यह कर्ज नहीं, सिक्योरिटी डिपॉजिट है, उन्होंने तर्क दिया कि यह रकम कोई उधार या एडवांस नहीं, बल्कि एक 'सिक्योरिटी डिपॉजिट' थी. उनका इशारा था कि एस्सेल ग्रुप की कंपनी ने डिफॉल्ट किया था, जिसके एवज में यह सिक्योरिटी रखी गई थी.

सबसे बड़ी दलील - हम पर केस हो ही नहीं सकता
कोटक के वकील ने कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत किसी भी 'वित्तीय सेवा प्रदाता' (Financial Service Provider) के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया की याचिका नहीं डाली जा सकती. क्योंकि, कोटक AMC एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी है, इसलिए वह इस परिभाषा में आती है. मतलब, कोटक AMC एक बड़ी कानूनी ढाल के पीछे छिपने की कोशिश कर रही है कि कानून हमें इस तरह की कार्रवाई से बचाता है.

मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी
साफ है कि कोटक AMC इस मामले को मेरिट पर लड़ने के बजाय तकनीकी और कानूनी दांव-पेंच में फंसाकर बचने की कोशिश कर रही है. एक तरफ एस्सेल ग्रुप का सीधा आरोप है कि कोटक ने उनके पैसे दबा लिए हैं, तो दूसरी तरफ कोटक कह रही है कि आप हमारे खिलाफ इस अदालत में आ ही नहीं सकते. फिलहाल मामला NCLT में विचाराधीन है और अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि अदालत कोटक की तकनीकी दलीलों को मानती है या फिर 13 करोड़ की कथित देनदारी पर उसे जवाब देने के लिए मजबूर करती है. 

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