Gold Loan: केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से गोल्ड लोन को लेकर कदम उठाने के लिए कहा है. फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से आरबीआई (RBI) से कहा गया कि केंद्रीय बैंक गोल्ड के बदले लोन देने के नए नियम बनाए तो इसमें छोटे कर्जदारों का खासतौर पर ध्यान रखा जाए. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने साफ कहा कि दो लाख रुपये तक का गोल्ड लोन (Gold Loan) लेने वालों पर नए नियमों का किसी तरह से असर नहीं पड़ना चाहिए.
गोल्ड लोन से जुड़े नए नियमों का प्रस्ताव दिया
वित्त मंत्रालय की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर बताया गया कि आरबीआई (RBI) ने गोल्ड लोन देने के लिए कुछ नए नियमों का प्रस्ताव दिया है. इन नियमों की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की गाइडेंस में जांच की गई. मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि छोटे कर्जदार अक्सर अपनी छोटी-मोटी जरूरत, जैसे अचानक आए खर्च या छोटे बिजनेस के लिए सोने पर मिलने वाले लोन पर भी निर्भर रहते हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि नए नियमों से उनके लिए किसी तरह की मुश्किल न हो.
दो लाख तक के कर्ज पर क्या है आरबीआई की राय?
सरकार ने रिजर्व बैंक (RBI) से यह भी कहा कि दो लाख रुपये से कम के गोल्ड लोन को नए नियमों से बाहर रखा जाए. ऐसा होने पर छोटे कर्जदारों को जल्दी और आसानी से लोन मिल पाएगा. इससे उन्हें अपनी जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि नए नियमों को लागू करने में कुछ समय लग सकता है. इसलिए सरकार ने आरबीआई (RBI) से कहा कि इन नियमों को 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाए. इससे बैंकों और दूसरी कंपनियों को तैयारी करने का पूरा समय मिल जाएगा.
बैंकों, सहकारी बैंकों और NBFC पर लागू होंगे नियम
RBI नए नियमों को लेकर अलग-अलग कंपनियों और लोगों से सलाह ले रहा है. वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि सभी से चर्चा करने के बाद ही RBI इस पर किसी तरह का अंतिम फैसला लेगा. आरबीआई की तरफ से गोल्ड लोन देने के नियमों को एक जैसा बनाने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किये गए हैं. ये नियम बैंकों, सहकारी बैंकों और एनबीएफसी (NBFC) सभी पर लागू किये जाएंगे.
कच्चे सोने या बिस्कुट के बदले लोन नहीं दिया जाएगा
RBI की तरफ से साफ कहा गया कि कच्चे सोने या बिस्कुट के बदले लोन नहीं दिया जाएगा. नए नियमों में सोने की प्योरिटी जांचने के तरीके, लोन और सोने के मूल्य का अनुपात (LTV) 75% तक सीमित करने के लिए कहा गया है. बुलेट रीपेमेंट (एक बार में चुकाने वाला कर्ज) की समय सीमा 12 महीने करने जैसा प्रस्ताव शामिल है. आरबीआई का टारगेट है कि ये नियम पारदर्शी हों, रिस्क कम करें और कर्जदारों को बचाएं.