Charge on Digital Payments: एक दिन पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई थी कि सरकार आने वाले समय में 3000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजेक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) चार्ज लगाने का प्लान कर रही है. खबर में कहा गया था कि बड़े डिजिटल ट्रांजेक्शन की लागत बढ़ने के कारण ऐसा किया जा रहा है. लेकिन अब वित्त मंत्रालय की तरनफ से साफ किया गया कि सरकार यूपीआई (UPI) ट्रांजेक्शन पर एमडीआर (MDR) को दोबारा शुरू करने का कोई प्लान नहीं है. यूपीआई देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सस्ता और सुलभ बना रहेगा.
यूपीआई को फाइनेंशियल रूप से व्यवहारिक बनाने पर चर्चा
सरकार की तरफ से यह जवाब कुछ पब्लिकेशन हाउस की उस खबर के बाद आया है जिसमें कहा जा रहा था कि सरकार 3,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर चार्ज लगाने की तैयारी कर रही है. सूत्रों ने बताया कि बैंकों और सर्विस प्रोवाइडर के लिए यूपीआई को फाइनेंशियल रूप से व्यवहारिक बनाने के लिए इस पर चर्चा हो रही है. पिछले हफ्ते पीएमओ, आर्थिक मामलों के विभाग और फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट ने इस पॉलिसी पर बैठक की थी.
छोटे ट्रांजेक्शन पर किसी तरह का चार्ज नहीं लगेगा
इस खबर में यह भी दावा किया गया था कि सरकार छोटे ट्रांजेक्शन पर किसी तरह का चार्ज नहीं लगाएगी. इंडस्ट्री से जुड़े जानकारा कहते हैं कि बड़े ट्रांजेक्शन पर मामूली चार्ज से बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑपरेशनल कॉस्ट को मैनेज किया जा सकता है. यूपीआई देश में 80% डिजिटल लेनदेन का हिस्सा बन गया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की तरफ से बड़े मर्चेंट्स के लिए 0.3% एमडीआर का सुझाव दिया गया है. अभी क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर 0.9% से लेकर 2% तक का एमडीआर है और रुपे कार्ड को इससे छूट है.
पीएमओ और संबंधित विभाग ने की चर्चा
रिपोर्ट के अनुसार पीएमओ, वित्त मामलों के विभाग और फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े डिपार्टमेंट ने पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा की. इसमें यह भी कहा गया था कि बैंकों, फिनटेक कंपनियों और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से चर्चा करने के बाद अगले एक से दो महीने में इस पर फैसला लिया जा सकता है.