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बिना लाइसेंस भारत में नहीं बिक सकेंगी विदेशी आयुर्वेदिक दवाएं! हाई कोर्ट के आदेश से मच सकती है हलचल

मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि विदेशों से आयात की जा रही आयुर्वेदिक दवाओं के लिए आयात लाइसेंस अनिवार्य होगा. इस फैसले का असर देश के हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों के बाजार पर गहराई से पड़ सकता है.

बिना लाइसेंस भारत में नहीं बिक सकेंगी विदेशी आयुर्वेदिक दवाएं! हाई कोर्ट के आदेश से मच सकती है हलचल
Shivendra Singh|Updated: Jul 05, 2025, 08:04 PM IST
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मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि विदेशों से आयात की जा रही आयुर्वेदिक दवाओं के लिए आयात लाइसेंस अनिवार्य होगा. इस फैसले का असर देश के हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों के बाजार पर गहराई से पड़ सकता है, क्योंकि अब बिना लाइसेंस के ऐसे उत्पाद भारत में मंगवाना और बेचना गैरकानूनी माना जाएगा.

यह फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें चेन्नई स्थित एक्सेन मार्केटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने अपनी जब्त की गई आयुर्वेदिक दवा की खेप को छुड़वाने की मांग की थी. यह दवा (कोडलाई थाईलम) सिंगापुर की लेंग काई फूक मेडिकल कंपनी द्वारा बनाई गई थी और इसे भारत में बेचा जा रहा था.

हाल ही में, चेन्नई के अरुंबक्कम में स्थित राज्य प्राधिकरण ने एक्सेन कंपनी को नोटिस भेजकर यह स्पष्ट किया कि आयातित आयुर्वेदिक दवा को बेचने के लिए वैध लाइसेंस होना जरूरी है. इसके बाद कस्टम विभाग ने कंपनी की सिंगापुर से आई खेप को जब्त कर लिया. इस कार्रवाई के विरोध में 'एक्सेन' कंपनी ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की और मांग की कि उनकी जब्त की गई दवा की खेप छोड़ी जाए.

इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि कोडलाई थाईलम एक कस्टम टैरिफ कैटेगरी के अंतर्गत आता है और यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जो निरीक्षण के अधीन है. उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक उत्पादों पर भी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम लागू होता है और इसलिए सभी प्रकार की औषधियों के आयात के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य है.

अदालत ने यह भी माना कि आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस से जुड़ी वर्तमान प्रक्रिया और नियम पुराने हो चुके हैं और इन नियमों को नए समय के अनुसार संशोधित करने की जरूरत है. हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि याचिकाकर्ता की जो खेप फिलहाल रोकी गई है, उसे नियमों के अनुसार निरीक्षण कर रिहा किया जाए.

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