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रेडी-टू-ईट प्रोडक्‍ट के पैकेट पर कलर वार्निंग की तैयारी, FSSAI लागू करने जा रहा बदलाव

FSSAI Rules: पैकेट पर लगाई जाने वाली पर्ची जितनी बड़ी होगी, उतनी ही ज्यादा मात्रा में उस प्रोडक्‍ट में चीनी होगी. उदाहरण के तौर पर यद‍ि किसी खाने में 10% चीनी है तो पैकेट के सामने वाली तरफ पीली पर्ची का साइज भी 10% जितना ही होगा.

रेडी-टू-ईट प्रोडक्‍ट के पैकेट पर कलर वार्निंग की तैयारी, FSSAI लागू करने जा रहा बदलाव
AMBARISH PANDEY|Updated: Jun 03, 2024, 05:24 PM IST
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FOPL Rules: रेडी टू ईट (Ready To Eat) प्रोडक्‍ट के पैकेट पर दी जाने वाली जानकारी (FOPL) के नियमों में बदलाव क‍िये जाने की तैयारी है. यह बदलाव भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा किया जा रहा है. इस बदलाव को करने का मकसद क‍िसी भी फूड प्रोडक्‍ट के बारे में खरीदार को पहले से जानकारी देना है. सहयोगी न्‍यूज चैनल जी ब‍िजनेस को सूत्रों के हवाले से म‍िली एक खास रिपोर्ट में बताया गया कि नए नियम अलग-अलग चरण में लागू किये जाएंगे.

पैकेट पर न्‍यूट्रीशन संबंधी जानकारी दी जाएगी

FOPL (फ्रंट ऑफ पैकेज लेबल‍िंग) पैकेट के सामने वाले हिस्से पर आसानी से समझ में आने वाली न्‍यूट्रीशन संबंधी जानकारी होती है. इस जानकारी को देने के पीछे का मकसद यह है क‍ि ग्राहक आसानी से यह जान सकें कि वे क्या खा रहे हैं और उन्हें अपने खाने का सामान स‍िलेक्‍शन करने में मदद मिले. सूत्रों के अनुसार बदलावों के पहले चरण में बच्चों के खाने के पैकेट पर पीले रंग की पर्ची लगाना जरूरी होगा. इस पर्ची पर साफ शब्दों में चीनी की मात्रा लिखी होगी.

चीनी की मात्रा का पता लगाना आसान हो जाएगा
पैकेट पर लगाई जाने वाली पर्ची जितनी बड़ी होगी, उतनी ही ज्यादा मात्रा में उस प्रोडक्‍ट में चीनी होगी. उदाहरण के तौर पर यद‍ि किसी खाने में 10% चीनी है तो पैकेट के सामने वाली तरफ पीली पर्ची का साइज भी 10% जितना ही होगा. जानकारों का कहना है क‍ि बच्चों के खाने वाले प्रोडक्‍ट को देखकर जल्द चीनी की मात्रा का पता लगाना आसान हो जाएगा.

बच्चों के खाने के पैकेट पर लगे लेबल पर यह साफ लिखा होगा कि उस खाने में कितनी चीनी है. उदाहरण के लिए, अगर पैकेट के सामने वाले हिस्से पर ये पीला लेबल 10% जगह घेरता है, तो समझ लीजिए कि उस खाने में 10% चीनी है. ये बदलाव जल्द ही लागू होने वाले हैं. इससे नेस्ले, पतंजलि और वोक्हार्ट जैसी कंपनियों को बच्चों का खाना बनाने के तरीके में बदलाव करना पड़ सकता है.

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