US Tariff: अमेरिका की तरफ से बुधवार को भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से सुनाए गए फैसले का सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल और केमिकल सेक्टर पर पड़ने की संभावना है. ऐसे में सरकार की कोशिश ऐसे कुछ नए बदलाव करने की है, जिनसे इन सेक्टर पर असर कम से कम हो. इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ऐसे सेक्टर को सहायता देने पर फोकस कर रही है, जो अमेरिकी टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित होंगे. सरकार की तरफ से एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन इन सेक्टर को सपोर्ट करेगा.
टेक्सटाइल और केमिकल सेक्टर के एक्सपोर्टर संग मीटिंग
कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से गुरुवार को टेक्सटाइल और केमिकल सेक्टर के एक्सपोर्टर के साथ मीटिंग की गई. इस दौरान अमेरिकी टैरिफ के असर और सहायता को लेकर अलग-अलग उपायों पर चर्चा हुई. इस मिशन में एमएसएमई और ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर के लिए आसान लोन स्कीम, विदेशी गोदामों की सुविधा और ग्लोबल ब्रांडिंग पहल आदि शामिल होंगी. 1 फरवरी को सरकार की तरफ से इस मिशन के तहत 2,250 करोड़ रुपये के बजट का ऐलान किया गया था.
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एक्सट्रा टैरिफ 27 अगस्त से लागू करने की बात
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को भारत से अमेरिका को निर्यात किये जाने वाले सामान पर 25 फीसदी का एक्सट्रा टैरिफ लगाने की बात कही. पहले से यह 25 फीसदी थी, इस कदम के बाद यह बढ़कर 50 फीसदी हो गया. अमेरिका ने टैरिफ का ऐलान भारत की तरफ से रूसी तेल खरीदने के कारण लगाया है. एक्सट्रा टैरिफ को 27 अगस्त से लागू करने की बात है. भारत का अमेरिका को टेक्सटाइल एक्सपोर्ट करीब 11 अरब डॉलर और केमिकल एक्सपोर्ट करीब 6 अरब डॉलर का है.
इन सेक्टर पर भी पड़ेगा असर
टेक्सटाइल अमेरिका के कुल टेक्सटाइल इम्पोर्ट का 9% है. टैरिफ का असर टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, झींगा, चमड़ा, जूते, केमिकल और मशीनरी सेक्टर पर भी पड़ेगा. इसके बाद भारतीय एक्सपोर्टर की तरफ से मंत्रालय से फाइनेंशियल हेल्प देने जैसे ब्याज सब्सिडी, RoDTEP और RoSCTL स्कीम का एक्सपेंशन, बकाया भुगतान समय पर और अमेरिका के लिए सीधी शिपिंग लाइन की मांग की गई. जीके पिल्लई कमेटी को RoDTEP मामलों पर एक प्रस्ताव भेजा गया है.
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पोर्ट फीस कम करने की भी मांग
निर्यातकों की तरफ से टैरिफ के असर को कम करनेक, नियमों को आसान करने और पोर्ट फीस कम करने की भी मांग की गई. सूत्रों की तरफ से कहा गया कि एक्सपोर्टर नए मार्केट में मौके तलाश रहे हैं. कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से एक्सपोर्टर की मांग का विश्लेषण किया जा रहा है. हायर टैरिफ लागू होने के बाद एक्सपोर्ट घरेलू बाजार पर फोकस कर सकते हैं. इससे आने वाले समय में भारत का इम्पोर्ट बिल कम हो सकता है.