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म‍िलावटी या असली पनीर...खाने में कौन-सा पनीर परोसा, होटल और रेस्‍टोरेंट को बताना जरूरी

FSSAI: एफएसएसएआई की तरफ से पहले ही निर्माताओं के लिए एनालॉग पनीर की 'गैर-डेयरी' प्रोडक्‍ट के रूप में लेबल‍िंग जरूरी की गई है. इस न‍ियम को इसल‍िए लागू क‍िया गया है ताक‍ि ग्राहकों के साथ क‍िसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो.

म‍िलावटी या असली पनीर...खाने में कौन-सा पनीर परोसा, होटल और रेस्‍टोरेंट को बताना जरूरी
Kriyanshu Saraswat|Updated: Apr 29, 2025, 01:05 PM IST
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What is Analogue Paneer: त्‍योहारों के मौके पर अक्‍सर म‍िलावटी पनीर और खोया के मामले सामने आते हैं. मिलावटी पनीर की बढ़ती समस्‍या को देखते हुए केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने कहा कि होटल और रेस्टोरेंट को अपने ग्राहकों को यह साफतौर पर यह बताना होगा क‍ि उनके खाने में 'एनालॉग पनीर' इस्‍तेमाल क‍िया गया है या फ‍िर पारंपर‍िक पनीर? इसके लिए जल्द नई गाइडलाइन जारी करने पर व‍िचार क‍िया जा रहा है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पहले ही निर्माताओं के लिए एनालॉग पनीर को 'गैर-डेयरी' प्रोडक्‍ट के रूप में लेबल करना जरूरी कर द‍िया है, ताकि ग्राहकों को क‍िसी प्रकार का धोखा न हो.

पारंपरिक या एनालॉग पनीर, रेस्टोरेंट को बताना जरूरी

पनीर से जुड़ा यह नियम रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले खाने पर लागू नहीं होता. उपभोक्ता मामले की सच‍िव निधि खरे ने बताया 'एनालॉग पनीर दिखने और स्वाद में पारंपरिक पनीर जैसा ही होता है. लेक‍िन यह असली पनीर नहीं है. यह सस्ता होता है, इसलिए होटल और रेस्टोरेंट को कस्‍टमर को इसके बारे में बताना चाह‍िए.' उन्होंने कहा रेस्टोरेंट को यह साफतौर पर बताना होगा क‍ि उनके खाने में पारंपरिक पनीर का इस्‍तेमाल क‍िया गया है या एनालॉग पनीर का. इसके साथ ही उसकी कीमत भी उसी के ह‍िसाब से रखनी होगी. खरे ने साफ कहा क‍ि पारंपरिक पनीर के नाम पर एनालॉग पनीर नहीं बेचा जाना चाहिए.

'एनालॉग पनीर' और असली पनीर में अंतर
एफएसएसएआई (FSSAI) के नियमों के अनुसार 'एनालॉग पनीर' वह प्रोडक्‍ट है जिसमें दूध के घटकों को पूरी तरह या आंशिक रूप से गैर-डेयरी सामग्री से बदला जाता है. लेकिन इसका स्‍वाद पारंपरिक पनीर की ही तरह होता है और यह उसी की तरह द‍िखता है. पारंपरिक पनीर ताजे दूध को नींबू के रस या सिरके के साथ जमाकर बनाया जाता है. वहीं, एनालॉग पनीर में इमल्सीफायर, स्टार्च और वेज‍िटेबल ऑयल जैसी सामग्री होती है. पारंपरिक पनीर की तुलना में इसकी कीमत करीब आधी होती है. यही कारण है क‍ि कमर्श‍ियल रसोई में इसकी मांग बढ़ रही है.

सेहत को लेकर चिंता
कुछ निर्माता एनालॉग पनीर में कम क्‍वाल‍िटी वाले वनस्पति तेल और अन्य चीजों का उपयोग करते हैं. इससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं. ग्राहकों को इस बारे में जानकारी नहीं होती क‍ि वे जो पनीर खा रहे हैं वह असली है या नकली. इसलिए सरकार का मानना है कि ग्राहकों को स्‍पष्‍ट रूप से जानकारी देना जरूरी है, ताकि वे सही फैसला ले सकें.

नई गाइडलाइन का क्‍या मकसद?
नई गाइडलाइन का मकसद ग्राहकों को धोखे से बचाना और उन्‍हें यह यह जानने का अधिकार देना है कि वे क्या खा रहे हैं. अगर होटल और रेस्टोरेंट एनालॉग पनीर का यूज करते हैं तो उन्हें मेनू या अन्य माध्‍यम से यह साफ करना जरूरी है क‍ि वे क्‍या खा रहे हैं. साथ ही, एनालॉग पनीर की कम लागत के कारण व्यंजन की कीमत भी उचित होनी चाहिए. इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ने के साथ ही फूड इंडस्‍ट्री में पारदर्शिता आएगी.

देशभर से आई शिकायतें
कुछ द‍िन पहले कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने नकली पनीर की बिक्री मामले में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से कार्रवाई की गुजार‍िश की थी. जोशी ने नड्डा को ल‍िखे पत्र में कहा था ‘देशभर में होटल और रेस्‍टोरेंट में नकली और मिलावटी पनीर की ब‍िक्री के मामले बढ़ रहे हैं.’ जोशी की तरफ से यह भी ल‍िखा गया था क‍ि ‘नेशनल कंज्‍यूमर हेल्पलाइन पोर्टल पर ग्राहकों ने इस मामले में कई तरह की शिकायतें दर्ज कराई हैं. इन श‍िकायतों के आधार पर नकली और मिलावटी पनीर की ब‍िक्री के बढ़ने का पता चल रहा है. इसकी ब‍िक्री सेहत के ल‍िए नुकसानदेह हो सकती है. 

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