Toll Tax: अगर आप हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों की सैर का मन बना रहे हैं, तो सफर का बजट थोड़ा और बढ़ाने के लिए तैयार हो जाइए. हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से टोल टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया है. सरकार ने यह बढ़ोतरी प्रदेश की सड़कों के मेंटेनेंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए की है.
रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में कुल 55 टोल बैरियर हैं, जहां नई दरें लागू की जाएंगी. खासतौर पर उन रास्तों पर सफर महंगा होगा जो पर्यटन के लिहाज से बेहद अहम हैं. जैसे शिमला, मनाली, धर्मशाला और डलहौजी. ऊना (15 टोल बैरियर), सोलन (13 टोल बैरियर) और सिरमौर (8 टोल बैरियर) जिलों में टोल दरों में बढ़ोतरी खास तौर पर देखी जाएगी.
अब कितना देना होगा टैक्स?
Himachal Pradesh Toll Tax Hike: नई दरों के तहत प्राइवेट गाड़ियों के लिए 24 घंटे का पास 60 रुपये से बढ़कर 70 रुपये हो गया है. वहीं, छह से 12 सीटों वाले पैसेंजर वाहनों को 110 रुपये देने होंगे. बड़ी बसों के लिए यह शुल्क 180 रुपये कर दिया गया है. सबसे ज्यादा असर ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर पड़ेगा, जहां भारी मालवाहक ट्रकों का टोल 550 रुपये से बढ़कर 570 रुपये हो गया है.
किसे कितना देना होगा टैक्स?
प्राइवेट कार: 70 रुपये (पहले 60 रुपये)
6-12 सीटर पैसेंजर वाहन: 110 रुपये
12 से अधिक सीटों वाले वाहन: 180 रुपये
250 क्विंटल से ज्यादा वजन वाली गाड़ियां: 720 रुपये
120-250 क्विंटल वजन वाली गाड़ियां: 570 रुपये
90-120 क्विंटल वजन वाली गाड़ियां: 320 रुपये (पहले 300 रुपये)
20-90 क्विंटल वजन वाली गाड़ियां: 170 रुपये (पहले 150 रुपये)
20 क्विंटल से कम वजन वाली गाड़ियां: 130 रुपये (पहले 110 रुपये)
प्राइवेट और सरकारी ट्रैक्टर: 70 रुपये (पहले 50 रुपये)
रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना मकसद
कालका-शिमला नेशनल हाईवे (NH-5) पर स्थित परवाणू टोल प्लाजा इस वृद्धि से प्रभावित सबसे प्रमुख टोल पॉइंट्स में से एक होगा. यहां से गुजरने वाले पर्यटकों को अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. इसके अलावा, अन्य प्रमुख हाइवे जैसे कि कांगड़ा-धर्मशाला और मनाली-कुल्लू मार्गों पर भी टोल की दरें बढ़ जाएंगी.
सरकार का कहना है कि यह वृद्धि रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और यात्रा को अधिक सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए की गई है. हिमाचल की पहाड़ी सड़कों को मेंटेन करना चुनौतीपूर्ण होता है और इसके लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत होती है. सरकार ने भरोसा दिलाया है कि इन बढ़ी हुई दरों से मिलने वाले फंड का सही इस्तेमाल सड़क सुधार के लिए किया जाएगा, जिससे यात्रियों को लंबे समय में फायदा मिलेगा.