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2 साल में सिर्फ 49 केस...ऐसे कैसे इकोनॉमी को मिलेगी पावर, खरबों रुपये के क्लेम अधर में लटके

भारत में पेंडिंग केस का मामला अक्सर चर्चा में रहता है. फिर चाहे कोर्ट केस हो या फिर अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (APTEL) के अटके हुए मामले.

POWER TRIBUNAL
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Bavita Jha |Updated: Feb 06, 2024, 12:23 PM IST
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APTEL Backlog Cases: भारत में पेंडिंग केस का मामला अक्सर चर्चा में रहता है. फिर चाहे कोर्ट केस हो या फिर अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (APTEL) के अटके हुए मामले. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी के बकाया केसों का बैंकलॉग बढ़ता जा रहा है और पिछले एक साल में इसकी संख्या बढ़कर 1516 पर पहुंच गई है. 

दो साल में सिर्फ 49 विवादों का निपटारा 

रिपोर्ट के मुताबिक लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि निपटारे कम हो रहे हैं. पिछले एक साल में जहां बिजली विवाद के बकाया केसों में 70 फीसदी की तेजी आई है तो वहीं ट्रिब्यूनल की ओर से पिछले दो साल में केवल 49 मामलों का ही निपटारा किया गया. हालात ये है कि ट्रिब्यूनल में खबरों रुपये के क्लेम लटके हुए हैं. कई मामले तो ऐसे हैं, जो साल 2013 से अटके हुए हैं. वहीं अधिकांश मामले ऐसे हैं, जो 180 दिन से ज्यादा समय से लटके हुए हैं. जबकि नियम के मुताबिक बिजली से जुड़े विवादों का निपटारा 180 दिन के भीतर हो जाना चाहिए. केस बैकलॉग हो रहे हैं, क्योंकि ट्रिब्यूनल में कई तरह की खामियां हैं. वर्क अलॉकेशन का प्रोसेस काफी कठिन है. वहीं ट्रिब्यूनल में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां भी पूरी नहीं हो पाई हैं.  

निवेशकों का भरोसा हिल रहा 

ट्रिब्यूनल में अटके क्लेम के चलते पावर सेक्टर में निवेशकों का भरोसा बढ़ नहीं पा रहा है. क्लेम की संख्या और क्लेम का अमाउंट लगातार बढ़ रहा है. ट्रिब्यूनल के सुस्त रवैये के चलते पावर सेक्टर रिफॉर्म्स को लेकर निवेशकों का भरोसा बुरी तरह डिगा हुआ है. लंबित विवादों के चलते पूरी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई चेन में स्टेकहोल्डर्स प्रभावित हो रहे हैं. जिस ट्रिब्यूनल का गठन इसलिए किया गया था ताकि विवादों का निपटारा तेजी से हो और निवेशकों का भरोसा बढ़ सके. लेकिन उसने दो सालों में सिर्फ 49 विवादों का हल निकाला है. 

 

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