Jane Street scandal: शेयर बाजार में Jane Street स्कैंडल के खुलासे ने निवेशकों की नींद उड़ा दी. अमेरिकी फर्म बाजार नियामक सेबी के नाक के नीचे से हजारों करोड़ों रुपये उड़ाकर ले गई. शेयर बाजार में अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट खेल के इस खुलासे ने सेबी की निगरानी पर सवाल उठा दिए. भारत के डेरिवेटिव मार्केट में जेन स्ट्रीट ने जो किया उसने करोड़ों खुदरा निवेशकों की उम्मीदों को भी झकझोर कर रख दिया है. वही सवाल भी उठाए कि क्या वो सुरक्षित हैं. जिस सेबी पर वो आंख मूंद कर भरोसा कर रहे हैं क्या वहां सब ठीक है. जेना स्ट्रीट मामले में तो ऐसा नहीं लगता. जिस तरह से बार-बार मिल रहे रेड सिग्नल को इंग्नोर किया गया कर उसने पूरे नियामक की परते खोलकर रख दी है.
मार्केट में जेन स्ट्रीट की साजिश या शेयर बाजार के सिस्टम में ढील
3 जुलाई 2025 को सेबी ने अंतरिम आदेश जारी कर जेन स्ट्रीट और उसकी सब्सिडियरीज को भारतीय शेयर बाजार से प्रतिबंधित तो कर दिया, लेकिन इस स्कैंडल ने सेबी पर भी सवाल उठा दिए. इस स्कैंडल ने बाजार की संरचना पर भी उंगलियां उठ दी है. इंडेक्स में सीमित स्टॉक्स की अधिकता, लिमिट्स का असमान उपयोग, और रेगुलेटरी लूपहोल्स ने इस खेल को आसान बना दिया. सेबी की अनदेखी ने बाजार की उन परतो को खोल दिया, जो बेहद डरावनी है. सेबी की अनदेखी के चलते एक अकेले खिलाड़ी ने पूरे बाजार को हिलाकर रख दिया.
कैसे हुआ करोड़ों का खेल, कहां हुई सेबी से चूक
ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने इसपर UAE आधारित एक हेज फंड के प्रेसिडेंट मयंक बंसल से बात की. मयंक बंसल ने बताया कि शेयर बाजार में पूरे 2024 में बाजार में मैनिपुलेशन बढ़ा है. अगर सिर्फ 2024 में ही देखें को अमेरिकी फर्म जेन स्ट्रीट ने लगभग 25,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. ये आकंड़े जेना स्ट्रीट के कामियाबी से ज्यादा मार्केट रेगुलेटर सेबी की खामियों के किस्से बयां कर रहे हैं.
रेगुलेटरी फेलियर का नतीजा
Jane Street ने जो कुछ भी किया, उसमें रेगुलेटरी फेलियर की परतें खोल दी है. जब भी बाजार नियामक की खामियां सामने आती है, एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, वो है माधबी पुरी बुच. मार्च 2022 में जब उन्होंने SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन का पद संभाला, उन्हें टेक-सेवी रिफॉर्मर के तौर पर पेश किया गया. दावा किया गया कि वो AI और हाई-टेक सर्विलांस से बाजार की हर गड़बड़ियों को फेल कर देंगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली.
वॉर्निंग्स को किया नजरअंदाज
माधवी पुरी के कार्यकाल में उनके नाक के नीचे ये सब चलता रहा और उन्हें पता नहीं चला. जिस Jane Street स्कैंडल ने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार की नींव हिला दी, उसकी भनक तक सेबी को नहीं लगी. अमेरिकी फर्म भारतीय निवेशकों को 4,800 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया और सेबी का सर्विलांस सिस्टम फेल हो गया. इतना बड़ा घोटाला रातों-रात नहीं हो सकता. बार-बार मिल रहे सिग्नल को नजरअंदाज किया गया. माधबी पुरी ने बार-बार मिल रहे रेड फ्लैग्स को अनदेखा कर दिया.
बार-बार मिलता रहा सिग्नल, लेकिन किया इग्नोर
अप्रैल 2024 में अमेरिका की मैनहट्टन कोर्ट में यह बात सामने आई कि जेन स्ट्रीट भारत के बाजारों से अपनी रणनीतियों के जरिए सालाना 1 बिलियन डॉलर कमा रही है, लेकिन सेबी ने इस वॉर्निंग की अनदेखी की. फरवरी 2025 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने संदिग्ध गतिविधियों पर चिंता जताई, लेकिन सेबी ने उसे भी इग्नोर किया. बार-बार चेतावनी के बावजूद सेबी चीफ की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. सेबी के सारे सिस्टम इस खामी को पकड़ने में फेल हो गए. माधवी पुरी जिस AI-ड्रिवन सिस्टम पर अपनी पीठ ठपठपाती रही, वो उस जेना स्ट्रीट की खामियों को पकड़ने में फेल रहे, जिसे बाजार के सामान्य जानकार भी महसूस कर रहे थे. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब बुच सवालों से घिरी रही है. माधवी पुरी बुच के कार्यकाल में इतने कड़े और जटिल नियम बनाए गए जिससे छोटे ब्रोकर्स के लिए काम करना मुश्किल हो गया. उनका रिएक्टिव अप्रोच बाजार के लिए खतरनाक साबित हुआ.
जेना स्ट्रीट के खोल दी माधबी पुरी बुच की पोल ?
माधबी पुरी बुच के बाद SEBI के नए चेयरपर्सन बने तुहिन कांता पांडे ने आते ही वो कर दिखाया, जिसे बुच अपने पूरे कार्यकाल में नहीं कर पाईं. उन्होंने जेन स्ट्रीट के खिलाफ तेजी और सख्ती से कार्रवाई की. उन्होंने जेना स्ट्रीट के सभी बैंक खातों और सिक्योरिटीज फ्रीज कर दिए. 4,843 करोड़ के अवैध मुनाफे को जब्त किया. ये स्कैंडल सिर्फ आंकड़ों या एक रेगुलेटरी चूक की कहानी नहीं है. यह उन लाखों छोटे निवेशकों के भरोसे के टूटने की कहानी है. छोटे निवेशक सेबी को अपना रक्षक मानते हैं