Notes Printing Cost: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) ने केंद्र से बड़ी कीमत वाले नोट (500 रुपये) को बंद करने की बात कही है. उनका कहना है कि बड़े नोटों को चलन से बाहर कर डिजिटल करेंसी को बढ़ावा दिया जाए. उनका कहना है सरकार के इस कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ ही नोटों की छपाई पर आने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा. उन्होंने यह भी कहा कि बड़े नोटों के चलन में होने से काले धन को बढ़ावा मिलता है. जबकि डिजिटल ट्रांजेक्शन को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा. चंद्रबाबू नायडू की इस अपील के बाद लोगों की तरफ से सोशल मीडिया पर सिक्कों और नोटों की छपाई में आने वाले खर्च के बारे में पूछा जा रहा है. आइए जानते हैं इस बारे में-
1 रुपये का सिक्का ढालने में ज्यादा खर्च
सबसे पहले बात 1 रुपये की ही करें तो शायद आपको लगता हो कि इसे तैयार करने में बहुत कम खर्च आता होगा. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि एक रुपये के सिक्के को बनाने में एक रुपये से ज्यादा का खर्च आता है. इंडिया टुडे की तरफ से साल 2018 में दायर आरटीआई (RTI) से जानकारी मिली थी कि 1992 से चलन में मौजूद एक रुपये का सिक्का बनाने में 1.11 रुपये का खर्च आता है. हालांकि, सिक्का तैयार करने की हालिया लागत कितनी है? इस बारे में जानकारी नहीं है, संभव है कि साल 2025 में पहले के मुकाबले लागत में इजाफा हो गया होगा. 1 रुपये का यह सिक्का स्टेनलेस स्टील से बना है, जिसका व्यास 21.93 मिमी, मोटाई 1.45 मिमी और वजन 3.76 ग्राम है.
सिक्का 10 का और खर्च 5 रुपये से ज्यादा
आरटीआई की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार 2 रुपये का सिक्का बनाने में 1.28 रुपये खर्च होगा. 5 रुपये का सिक्का बनाने में 3.69 रुपये और 10 रुपये का सिक्का तैयार करने में 5.54 रुपये का खर्चा आता है. इन सिक्कों को मुंबई और हैदराबाद में भारत सरकार की टकसाल में तैयार किया जाता है. हालांकि, मौजूदा समय में यह लागत बढ़कर कितनी हो गई है? इसको लेकर जानकारी नहीं दी गई है. आरटीआई (RTI) में दी गई जानकारी से यह भी पता चला कि देश में हर साल जितने सिक्के ढाले जाते हैं, उनकी संख्या पहले से कम हुई है. 2018 में एक रुपये के 63 करोड़ सिक्के ढाले गए. वहीं, 2017 में इन सिक्कों की संख्या 90.3 करोड़ थी.
2000 रुपये के नोट पर कितना आता था खर्च?
सिक्के भले ही भारत सरकार की तरफ से ढाले जाते हैं. लेकिन 2 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोट आरबीबाई (RBI) की तरफ से छापे जाते हैं. रिजर्व बैंक की पूरी तरह से मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड है. इसी कंपनी के जरिये आरबीआई (RBI) की दो नोट छापने वाली प्रेस हैं. करेंसी नोट को छापने का खर्च उनकी कीमत के हिसाब से अलग-अलग होता है. जैसे 2000 रुपये के एक नोट को छापने में 4 रुपये तक का खर्च आता था.
किस नोट पर कितना खर्च?
लेकिन इसके अलावा दूसरे नोटों की बात की जाए तो 10 रुपये के 1000 नोटों को छापने की कॉस्ट करीब 960 रुपये आती है. लेकिन इतनी ही संख्या में करीब 100 रुपये के नोटों को नोट छापने में 1,770 रुपये का खर्च आता था. इसी तरह 200 रुपये के 1000 नोटों को तैयार करने में 2,370 रुपये की लागत आती है. इसके अलावा 500 रुपये के 1000 नोटों को प्रिंट करने में यह लागत बढ़कर करीब 2,290 रुपये हो जाती है.