LPG Cylinder Expiry Date: जब भी आप कोई सामान खरीदते हैं तो दो चीजों पर सबसे पहले नजर जाती है. पहली उसके रेट पर और दूसरी उसकी एक्सपायरी पर. अधिकतर घरों में गैस सिलेंडर इस्तेमाल होता है लेकिन शायद ही आपने कभी इसकी एक्सपायरी चेक की हो. जी हां, यह सुनने में भले ही आपको अजीब लगे लेकिन LPG सिलेंडर की भी एक्सपायरी डेट होती है. एक्सपायरी से जुड़ी यह जानकारी सिलेंडर पर बड़े अक्षरों में लिखी होती है. अधिकतर घरों में भले ही गैस सिलेंडर पर खाना बन रहा है लेकिन इनमें से ज्यादा लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती. यही कारण है कि वे सिलेंडर लेते समय केवल उसका वजन और लीकेज जैसी चीजें ही चेक करते हैं. लेकिन एक्सपायरी पर ध्यान नहीं देते.
आप कैसे चेक कर सकते हैं एक्सपायरी?
आइए, हम आपको बताते हैं कि गैस सिलेंडर पर एक्सपायरी डेट कहां लिखी होती है और आप इसे कैसे चेक कर सकते हैं. आपके एलपीजी सिलेंडर पर ऊपर की तरफ तीन चौड़ी पट्टियां होती हैं. इन्हीं में से एक पट्टी पर आपको एक्सपायरी कोड लिखा हुआ मिलेगा, जैसे A-24, B-25, C-26, या D-27. इसमें A, B, C, D अक्षर साल के महीनों को शो करते हैं. इसके अलावा लिखे गए नंबर जैसे 24, 25, 26, या 27 सिलेंडर के एक्सपायर होने के साल को बताते हैं. इस कोड में हर कैरेक्टर का अलग मतलब होता है. ये चार करेक्टर साल की अलग-अलग तिमाही की तरफ इशारा करते हैं.
A, B, C और D का मतलब समझिए
जैसे A का मतलब है जनवरी, फरवरी और मार्च. इसी तरह B का मतलब है अप्रैल, मई और जून. C का मतलब है जुलाई, अगस्त और सितंबर और आखिर में D का मतलब अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर से है. इसके बाद वहां पर लिखे गए नंबर साल की तरफ इशारा करते हैं. अगर आपके सिलेंडर पर A-24 लिखा है, तो इसका मतलब है कि आपका सिलेंडर साल 2024 में जनवरी से मार्च के बीच एक्सपायर हो जाएगा. अगर D-27 लिखा है तो सिलेंडर साल 2027 में अक्टूबर से दिसंबर के बीच एक्सपायर होगा. इस तरह आप भी आसानी से अपने सिलेंडर की एक्सपायरी खुद से चेक कर सकते हैं.
एक्सपायरी डेट क्यों लिखी जाती है?
दरअसल, सिलेंडर पर लिखी यह एक्सपायरी डेट असल में टेस्टिंग डेट होती है. इसका मतलब है कि इस तारीख पर सिलेंडर को चेक करने के लिए भेजा जाता है. जांच में यह देखा जाता है कि क्या सिलेंडर अभी भी सुरक्षित है और आगे इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं. एक सामान्य LPG गैस सिलेंडर की लाइफ 15 साल तक होती है. 15 साल के दौरान सिलेंडर को दो बार जांच के लिए भेजा जाता है. पहली बार इसे 10 साल बाद और दूसरी बार इसके पांच साल बाद जांच के लिए भेजा जाता है. जांच में पास नहीं होने वाले सिलेंडर को हटा दिया जाता है और इन्हें आगे इस्तेमाल नहीं किया जाता.