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Income Tax Act 2025: बैंक अकाउंट में क‍ितना कैश जमा कर सकते हैं आप? क्‍या कहता है नया कानून

IT Act 2025: बैंक और वित्तीय संस्थानों को 10 लाख रुपये (सेव‍िंग अकाउंट) या 50 लाख रुपये (करंट अकाउंट) से ज्‍यादा के ट्रांजेक्‍शन की जानकारी इनकम टैक्‍स व‍िभाग को देनी होती है. इससे यह फोकस क‍िया जाता है क‍ि बड़े नकद लेनदेन पर नजर रखी जाए. 

Income Tax Act 2025: बैंक अकाउंट में क‍ितना कैश जमा कर सकते हैं आप? क्‍या कहता है नया कानून
Kriyanshu Saraswat|Updated: May 01, 2025, 02:30 PM IST
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Income Tax Act 2025: आयकर अधिनियम 2025 के तहत सेव‍िंग अकाउंट में कैश ड‍िपॉज‍िट की एक ल‍िम‍िट तय है. यह वह ल‍िमि‍ट है, जिसे कोई व्यक्ति एक न‍िश्‍च‍ित समय में जमा कर सकता है. यह नियम नकद लेनदेन की निगरानी के लिए बनाया गया है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्‍स चोरी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सके. अगर कोई व्यक्ति एक फाइनेंश‍ियल ईयर में अपने सेव‍िंग अकाउंट में 10 लाख रुपये या इससे ज्‍यादा नकद जमा करता है तो उसे आयकर विभाग को सूचित करना होगा. करंट अकाउंट के ल‍िए यह ल‍िम‍िट 50 लाख रुपये की है.

बैंकों की जिम्मेदारी

हालांकि इन जमा राशियों पर तुरंत टैक्‍स नहीं लगता. लेकिन बैंक और वित्तीय संस्थानों को 10 लाख रुपये (सेव‍िंग अकाउंट) या 50 लाख रुपये (करंट अकाउंट) से ज्‍यादा के ट्रांजेक्‍शन की जानकारी इनकम टैक्‍स व‍िभाग को देनी होती है. इससे यह फोकस क‍िया जाता है क‍ि बड़े नकद लेनदेन पर नजर रखी जाए.

सेक्शन 194N: नकद निकासी पर नियम
आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत नकद निकासी पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के नियम हैं. अगर कोई व्यक्ति एक फाइनेंश‍ियल ईयर में एक करोड़ रुपये से ज्‍यादा नकद निकालता है तो 2% TDS काटा जाता है. जिन लोगों ने पिछले तीन साल से आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है उनके लिए 20 लाख रुपये से ज्‍यादा की निकासी पर 2% TDS और एक करोड़ से ज्‍यादा की निकासी पर 5% TDS लागू होता है. इस TDS को आमदनी नहीं माना जाता बल्कि इसे आईटीआर (ITR) दाखिल करते समय क्रेडिट के रूप में इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

सेक्शन 269ST: नकद लेनदेन पर जुर्माना
सेक्शन 269ST के अनुसार यद‍ि कोई व्यक्ति एक साल या एक लेनदेन में दो लाख रुपये या उससे ज्‍यादा नकद स्वीकार करता है तो उस पर जुर्माना लग सकता है. हालांकि, यह जुर्माना बैंक से नकद निकासी पर लागू नहीं होता. फिर भी न‍िकासी की ल‍िम‍िट पार करने पर TDS काटा जाता है.

सेक्शन 269SS और 269T: नकद लोन पर नियम
सेक्शन 269SS और 269T नकद लोन से संबंधित हैं. अगर कोई व्यक्ति 20,000 रुपये से ज्‍यादा का नकद लोन लेता या चुकाता है तो उसे उतनी ही राशि का जुर्माना देना पड़ सकता है. इन नियमों का पालन करने के लिए आयकर नियमों को समझना जरूरी है. बिजनेस करने वालों के लिए अगर जमा राशि उनके आयकर रिटर्न में घोषित कारोबार के टर्नओवर से मेल खाती है, खासकर सेक्‍शन 44AD/44ADA के तहत तो क‍िसी तरह का जुर्माना नहीं लगता. लेकिन अगर जमा राशि बिजनेस से अलग है तो आयकर विभाग इसकी जांच कर सकता है.

सेक्शन 68: आमदनी का सोर्स साबित करना
अगर कोई व्यक्ति अपनी आमदनी का स्रोत साबित नहीं कर पाता तो आयकर विभाग सेक्‍शन 68 के तहत नोटिस जारी कर सकता है. ऐसी स्थिति में अनवेर‍िफाइड आमदनी पर 60% टैक्‍स, 25% सरचार्ज और 4% सेस लगाया जा सकता है. यह कुल मिलाकर भारी टैक्‍स का बोझ बन सकता है.

नकद जमा पर टैक्‍स कैसे लगता है?
सेव‍िंग अकाउंट में 10 लाख रुपये या करंट अकाउंट में 50 लाख रुपये से ज्‍यादा नकद जमा करने पर इनकम टैक्‍स व‍िभाग को सूचना देनी होती है. यह जमा राशि सीधे टैक्‍सेबल नहीं है लेक‍िन अगर इनकम का सोर्स साफ नहीं है तो जांच हो सकती है. नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना या अतिरिक्त टैक्‍स लग सकता है. 

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