HRA Claim: अगर आप सैलरीड क्लास हैं और टैक्स सेविंग करना चाहते हैं तो आपको भी अपनी पैरेंट्स को घर का किराया देकर हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम करने का तरीका अच्छा लग सकता है. कई लोग ऐसा करते भी हैं. कुछ लोग यह नहीं करते और उनके मन में सवाल रहता है कि यह कानूनन तौर पर कहीं गलत तो नहीं? लेकिन आपको बता दें यह तरीका कानूनी तौर पर सही है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप नियमों को पूरी तरह से फॉलो करें.
बिना डॉक्यूमेंटेशन HRA क्लेम करने की कोशिश
सीए आशीष मिश्रा का कहना है कि यदि आप अपने पैरेंट्स को किराया दे रहे हैं और HRA क्लेम कर रहे हैं तो यह कानूनी तौर पर सही है. लेकिन यह तब ही सही है जब आप इनकम टैक्स के नियमों को पूरी तरह से फॉलो कर रहे हों. हर साल जब इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल (ITR) करने का टाइम आता है तो टैक्स प्रोफेशनल्स को ऐसे कई मामले मिलते हैं, जहां पर लोग बिना किसी डॉक्यूमेंटेशन के HRA क्लेम करने की कोशिश करते हैं. अगर आप नियमों को फॉलो नहीं करते और एचआरए क्लेम करते हैं तो आप पर पेनाल्टी लग सकती है.
माता-पिता को किराया देकर HRA क्लेम करना सही?
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(13A) के तहत सैलरीड क्लास किराये के घर में रहने पर एचआरए (HRA) को लेकर छूट ले सकते हैं. कानून में किसी भी तरह से यह नियम नहीं है कि मकान मालिक कोई बाहरी शख्स होना चाहिए. यदि आप अपने पैरेंट्स के साथ रहते हैं और सच में उन्हें किराया देते हैं तो आप कानूनी तौर पर HRA क्लेम कर सकते हैं. लेकिन, शर्त यह है कि आपको साबित करना होगा कि आप वाकई किराया दे रहे हैं.
HRA क्लेम करने वालों की सख्ती से जांच
पिछले कुछ सालों के दौरान आयकर विभाग की तरफ से HRA क्लेम करने वालों की जांच सख्ती से की जा रही है. यह जांच उन मामलों में ज्यादा हो रही है जिसमें किराया किसी फैमिली मेंबर को लेकर क्लेम किया गया है. इस तरह के मामलों में लाखों सैलरीड क्लास को नोटिस भी मिले हैं. आइए जानते हैं आप यदि पैरेंट्स को किराया दे रहे हैं तो इसे कैसे क्लेम करें? इन नियमों को फॉलो करके आप आयकर विभाग की स्क्रूटनी से बच सकते हैं.
किराये का पेमेंट बैंक ट्रांसफर के जरिये करें
आप किराये का भुगतान अपने पैरेंट्स को करें या किसी अपरिचित को हमेशा यह ध्यान रखें कि इसे बैंक अकाउंट में ही ट्रांसफर करें. कैश पेमेंट या पुरानी तारीखों में किये गए ट्रांसफर से बचना चाहिए. इस तरह के ट्रांजेक्शन को शक की नजर से देखा जाता है. रेगुलर और डिजिटल ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड होने पर यह साबित किया जा सकता है कि आपका इरादा सही था और आप रेगुलर किराया दे दे रहे थे.
रेंट एग्रीमेंट में क्या-क्या जानकारी होनी चाहिए?
इसके अलावा आप रेंट एग्रीमेंट भी अवश्य बनवा लें. रेंट एग्रीमेंट में क्या-क्या जानकारी दर्ज होनी चाहिए, इसको लेकर आपको अलर्ट रहना चाहिए. इसमें हर महीने दिये जाने वाले किराये की रकम लिखी होनी चाहिए और यह भी लिखा हो कि आप कितने समय से वहां पर रह रहे हैं? संबंधित प्रॉपर्टी का एड्रेस भी हो, जहां पर आप रह रहे हैं. इसके अलावा दोनों पक्षों का नाम और PAN का विवरण भी हो. रेंट एग्रीमेंट कानूनी रूप से सही होगा तो आपका क्लेम सही साबित हो सकता है.
आपके हिस्से का तो काम पूरा हो गया. लेकिन आपने से जो किराये का भुगतान किया है उसमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपके पैरेंट्स किराये से होने वाली आमदनी को अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत दिखाएं. अगर वे ऐसा नहीं करते तो रिकॉर्ड में गड़बड़ हो सकती है और आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
क्या गलतियां करने से बचें?
> बिना पैसों के ट्रांजेक्शन के महज कागजों पर किराया दिखाना, यह पूरी तरह गलत है. ऐसा करने से आपको इनकम टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है.
> किराये को लेकर केवल ओरल एग्रीमेंट न हो. ओरल एग्रीमेंट का टैक्स क्लेम में किसी तरह का महत्व नहीं होता.
> कई बार लोग मार्च के महीने में पुराने महीनों का किराया एकमुश्त या लम सम (lump sum) ट्रांसफर कर देते हैं. इससे भी आयकर विभाग को शक पैदा होने लगता है.
> पैरेंट्स का किराये की आमदनी को ITR में नहीं दिखाना. इससे भी आयकर विभाग शक कर सकता है.