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Income Tax Return: क्‍या आप इनकम टैक्‍स र‍िजीम में हर साल कर सकते हैं बदलाव? एक्‍सपर्ट से समझ‍िए पूरा जवाब

ITR Filing: टैक्‍सपेयर के मन में अक्‍सर यह सवाल बना रहता है क‍ि क्‍या वह अपनी सुव‍िधा के अनुसार ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम और न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम में बदलाव कर सकते हैं? अगर आपका भी कुछ ऐसा ही सवाल है तो एक्‍सपर्ट से समझ‍िए- 

Income Tax Return: क्‍या आप इनकम टैक्‍स र‍िजीम में हर साल कर सकते हैं बदलाव? एक्‍सपर्ट से समझ‍िए पूरा जवाब
Kriyanshu Saraswat|Updated: Jun 19, 2025, 02:17 PM IST
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ITR Filing FY 2024-25 (AY 2025-26): नौकरीपेशा को उनके एम्‍पलॉयर की तरफ से फॉर्म-16 (Form-16) जारी कर द‍िये गए हैं. इसके साथ ही टैक्‍सपेयर की तरफ से अपना इनकम टैक्‍स र‍िटर्न (ITR) फाइल क‍िया जा रहा है. हर साल जब आप आईटीआर फाइल करते हैं तो ओल्‍ड और न्‍यू इनकम टैक्स र‍िजीम में से किसी एक को स‍िलेक्‍ट करना होता है. न्‍यू टैक्स र‍िजीम के तहत आपको कम टैक्स दर और ज्‍यादा स्टैंडर्ड डिडक्शन म‍िलता है. लेक‍िन ओल्‍ड र‍िजीम में ऐसा नहीं है. ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम में आपको कई डिडक्शंस और छूट का फायदा म‍िलता है.

अपने फायदे के ह‍िसाब से करें बदलाव

ओल्‍ड र‍िजीम के तहत आप सेक्‍शन 80C, 80D, मकान किराया भत्ता (HRA), एलटीए (LTA) और भी बहुत कुछ अप्‍लाई कर सकते हैं. जैसे-जैसे आपकी फाइनेंश‍ियल स्थिति में बदलाव होता है, आपको यह पता चलता है क‍ि ओल्‍ड र‍िजीम, न्‍यू र‍िजीम के मुकाबले ज्‍यादा फायदेमंद है या इसका उल्टा भी हो सकता है. यद‍ि आपने पिछले साल न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम स‍िलेक्‍ट की हो. लेकिन आईटीआर (ITR) फाइलिंग के समय आपको ओल्‍ड र‍िजीम में कम टैक्स देना पड़ रहा है, तो ऐसे में क्‍या करें? टैक्‍सपेयर के मन में यह सवाल रहता है क‍ि क्या वे हर साल न्‍यू और ओल्‍ड र‍िजीम के बीच क‍िसी एक को स‍िलेक्‍ट कर सकते हैं या ऐसा स‍िर्फ एक बार ही करने का ऑप्‍शन है?

ओल्‍ड Vs न्‍यू र‍िजीम, क्‍या हर साल हो सकता है बदलाव?
GenZCFO के फाउंडर सीए मनीष म‍िश्रा के अनुसार इनकम टैक्‍स एक्‍ट, 1961 पर्सनल टैक्‍सपेयर हर फाइनेंश‍ियल ईयर में ओल्‍ड और न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम में से क‍िसी एक को स‍िलेक्‍ट करने का अनुमत‍ि देता है. उनके अनुसार ये पर्सनल टैक्‍सपेयर वहीं हो सकते हैं, ज‍िनकी ब‍िजनेस इनकम नहीं है. उन्‍होंने जी न्‍यूज ड‍िजीटल को बताया क‍ि 'इनकम टैक्‍स र‍िजीम का स‍िलेक्‍शन क‍िसी भी शख्‍स के अपने मन पर निर्भर करता है. इसमें वह हर साल बदलाव कर सकते हैं लेक‍िन यह उनकी ब‍िजनेस से इनकम नहीं होनी चाह‍िए. यानी सैलरीड क्‍लास अपनी पसंद के ह‍िसाब से इसमें बदलाव कर सकता है.

कब-कब कर सकते हैं यह बदलाव?
मनीष म‍िश्रा ने यह भी बताया क‍ि यद‍ि किसी ने टीडीएस (TDS) को ध्‍यान में रखकर अपने एम्‍पलॉयर के साथ कोई एक टैक्स र‍िजीम ड‍िक्‍लेयर कर दी थी. इस स्‍थ‍िति में भी वह टैक्स रिटर्न फाइल करतेक समय टैक्स र‍िजीम को बदल सकता है. इसके ल‍िए केवल एक ही शर्त है क‍ि उसकी इनकम ब‍िजनेस से न हो. उसका सैलरीड क्‍लास होना जरूरी है. दरअसल, न्‍यू टैक्स र‍िजीम ड‍िफॉल्‍ट र‍िजीम बन गई है. यदि आप ओल्‍ड र‍िजीम के तहत आईटीआर (ITR) फाइल करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए ऑप्‍शन चुनना होगा. आप ऐसा फाइनेंश‍ियल ईयर की शुरुआत में अपने एम्‍पलॉयर को जानकारी दे सकते हैं या आईटीआर फाइल करते समय.

एक और अहम जानकारी यह है क‍ि आप ओल्‍ड इनकम टैक्‍स र‍िजीम का ऑप्‍शन तब ही स‍िलेक्‍ट कर सकते हैं जब आप अपनी टैक्स रिटर्न तय समय सीमा के अंदर फाइल करें. एक बार जब आईटीआर (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख निकल जाती है तो आप खुद ब खुद न्‍यू इनकम टैक्स र‍िजीम में चले जाएंगे. 

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