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सरकार की छप्परफाड़ हुई कमाई, सरकारी खजाने में आए ₹25.86 लाख करोड़, टैक्स कलेक्शन में बंपर बढ़ोतरी

वित्त वर्ष खत्म होने से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर आई है. फाइनेंशियल ईयर एंड से पहले मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर आई है.  सरकार की टैक्स से आय लगातार बढ़ रही है.

 सरकार की छप्परफाड़ हुई कमाई,  सरकारी खजाने में आए ₹25.86 लाख करोड़, टैक्स कलेक्शन में बंपर बढ़ोतरी
Bavita Jha |Updated: Mar 19, 2025, 09:14 AM IST
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Direct Tax Collection: वित्त वर्ष खत्म होने से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर आई है. फाइनेंशियल ईयर एंड से पहले मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर आई है.  सरकार की टैक्स से आय लगातार बढ़ रही है. चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.2 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, और यह 25.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. 

सरकार के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है. प्रत्यक्ष करों में कॉर्पोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स शामिल हैं. चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 10.1 लाख करोड़ रुपये था.  

पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये हो गया.  सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) कलेक्शन में भी तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 34,131 करोड़ रुपये की तुलना में 53,095 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. संपत्ति कर सहित अन्य करों में मामूली गिरावट देखी गई, जो 3,656 करोड़ रुपये से घटकर 3,399 करोड़ रुपये रह गया. 

रिफंड में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिफंड घटाने के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है, जिसमें सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए अधिक धन जुटा रही है.  

यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है. कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग सिस्टम में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है. इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक रोजगार सृजन होता है. इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होती है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित होता है. आईएएनएस

 

 

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