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First Petroleum Pipeline: 435 किमी की लंबाई, घने जंगल और नद‍ियां...जब हाथियों ने डाली थी सरकारी कंपनी की पेट्रोल पाइपलाइन

Guwahati to Siliguri Petroleum Pipeline: गुवाहाटी-सिलीगुड़ी पाइपलाइन को अमेरिका की बेचटेल कंपनी की तरफ से ड‍िजाइन क‍िया गया था. 435 किमी लंबी यह पाइपलाइन गुवाहाटी रिफाइनरी से बोंगाईगांव रिफाइनरी होते हुए बेटकुची और सिलीगुड़ी तक पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट पहुंचाती है. 

First Petroleum Pipeline: 435 किमी की लंबाई, घने जंगल और नद‍ियां...जब हाथियों ने डाली थी सरकारी कंपनी की पेट्रोल पाइपलाइन
Kriyanshu Saraswat|Updated: Aug 02, 2025, 06:31 PM IST
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India First Petroleum Product Pipeline: आज पेट्रोल‍ियम प्रोडक्‍ट के ब‍िना देश की तरक्‍की की कल्‍पना नहीं की जा सकती. लेक‍िन क्‍या आपने कभी सोचा है क‍ि देश के व‍िकास में अहम भूम‍िका न‍िभाने वाली पेट्रोल‍ियम इंडस्‍ट्री की देश में शुरुआत कैसे हुई थी. जीरो से शुरू होकर कैसे सरकारी तेल कंपन‍ियों का जाल देशभर में फैल गया. शायद आपको इनकी शुरुआत के बारे में बताएं तो यकीन नहीं होगा लेक‍िन यह हकीकत है क‍ि देश की सरकारी तेल कंपनी इंड‍ियन ऑयल ल‍िमिटेड की पहली पेट्रोल‍ियम पाइपलाइन हाथियों ने डाली थी.

1962 में शुरू हुआ पाइपलाइन का काम

1.4 मिलियन मीट्रिक टन सालाना (MMTPA) की क्षमता वाली गुवाहाटी-सिलीगुड़ी पेट्रोल‍ियम पाइपलाइन का काम 1962 में शुरू हुआ था. दो साल की कड़ी मेहनत और तमाम बाधाओं को पार करने के बाद इसे 1964 में चालू किया गया था. गुवाहाटी-सिलीगुड़ी पाइपलाइन को अमेरिका की बेचटेल (Bechtel) कंपनी की तरफ से ड‍िजाइन क‍िया गया और इटली की स्‍नाम प्रोगेटी (Snam Progetti) कंपनी ने इसका काम पूरा क‍िया. पाइपलाइन की खास बात यह है कि यह स्वेज नहर के पूर्व में बनी पहली प्रोडक्‍ट पाइपलाइन में से एक है.

गुवाहाटी रिफाइनरी शुरू होती है पाइपलाइन
435 किमी लंबी यह पाइपलाइन गुवाहाटी रिफाइनरी से शुरू होकर, बोंगाईगांव रिफाइनरी से होते हुए बेटकुची और सिलीगुड़ी तक पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट को पहुंचाती है. भारत में तेल की खोज का इतिहास असम के घने जंगलों से शुरू होता है. 1889 में डिगबोई (असम) में तेल की खोज उस समय हुई जब असम रेलवे एंड ट्रेडिंग कंपनी के हाथियों के पैरों पर तेल के निशान देखे गए. इसी खोज से भारत में ऑयल इंडस्‍ट्री की नींव रखी गई.

सड़क और रेल मार्ग का सस्‍ता व‍िकल्‍प
धीरे-धीरे 1960 के दशक तक असम के नाहरकटिया (डिब्रूगढ़ ज‍िले में स्‍थ‍ित कस्‍बा) और आसपास के क्षेत्रों में तेल का प्रोडक्‍शन बढ़ने लगा. नाहरकटिया आज भी पेट्रोलियम और गैस भंडारों के लिए फेमस है. यहां पर उत्‍पादन होने वाले तेल को रिफाइनरियों तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत थी. उस समय सड़क और रेल मार्ग का इतना व‍िकास नहीं हुआ था और इनके जर‍िये ट्रांसपोर्टेशन काफी महंगा था. इसल‍िए तेल को रिफाइनरियों तक पहुंचाने के लि‍ए पाइपलाइन तैयार करने का फैसला लिया गया.

इंडियन ऑयल की तरफ से बनाई गई पाइपलाइन
इसके ल‍िए 1962 में देश की पहली पेट्रोलियम पाइपलाइन गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक तैयार करने का फैसला क‍िया गया. 435 किमी लंबी यह पाइपलाइन इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) की तरफ से बनाई गई. अमेरिका की कंपनी बेचटेल (Bechtel) ने इसे ड‍िजाइन क‍िया. इस पाइपलाइन को धरातल पर उतारने का काम इटली की कंपनी स्‍नाम प्रोगेटी (Snam Progetti) ने क‍िया. यह देश की ऑयल इंडस्‍ट्री में मील का पत्थर साबित हुई. यह पाइपलाइन गुवाहाटी रिफाइनरी से शुरू होकर बोंगाईगांव रिफाइनरी होते हुए सिलीगुड़ी तक जाती थी. यहां से पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रोल‍ियम प्रोडक्‍ट को पूर्वोत्तर राज्यों और वेस्‍ट बंगाल में ड‍िस्‍ट्रीब्‍यूट क‍िया जाता था.

पाइपलाइन को 1964 में पूरी तरह चालू क‍िया गया
पाइपलाइन के न‍िर्माण से जुड़ा सबसे रोचक तथ्‍य यह है क‍ि इसे तैयार करने में हाथ‍ियों की मदद ली गई. दरअसल, उस समय तकनीक आज के ज‍ितनी व‍िकस‍ित नहीं हुई थी. असम के घने जंगलों, नदियों और पहाड़ी इलाकों में भारी मशीनरी ले जाना आसान नहीं था. उस समय हाथियों की मदद भारी पाइप और सामान ढोने के लिए ली गई. इन प्रश‍िक्ष‍ित हाथ‍ियों के जर‍िये जंगलों और दलदली इलाकों में भारी सामान को पहुंचाया गया. ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदी को पार करना बड़ी चुनौती थी. उस समय के इंजीनियरों और मजदूरों ने कठिन हालात में इसे पूरा क‍िया. इसके बाद 1964 में पाइपलाइन को पूरी तरह चालू क‍िया गया. 

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