India Forex Reserves: अगस्त के पहले दिन जीएसटी कलेक्शन के 1.96 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने के बाद इंडियन इकोनॉमी के लिए एक और दमदार खबर आई है. लगातार तीन हफ्ते से गिरावट से गुजर रहे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार 25 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इससे पिछले हफ्ते 18 जुलाई तक के आंकड़े के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 बिलियन डॉलर गिरकर 695 अबर डॉलर पर पहुंच गया था.
फॉरेन करेंसी एसेट्स में उछाल
विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त फॉरेन करेंसी एसेट्स में उछाल आने के बाद दर्ज की गई. फॉरेन करेंसी एसेट्स 1.31 अरब डॉलर बढ़कर 588.93 अरब डॉलर हो गया. इन एसेट्स में रिजर्व में रखे यूरो, पाउंड और येन जैसी प्रमुख करेंसी के मूल्य में बदलाव का प्रभाव शामिल होता है. गोल्ड रिजर्व ने भी इस ग्रोथ में योगदान दिया, जो 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 85.7 अरब डॉलर हो गया. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 12.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.8 अरब डॉलर हो गए, जबकि आईएमएफ (IMF) के साथ देश की रिजर्व पॉजिशन इस हफ्ते 5.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.75 अरब डॉलर हो गई.
FDI अप्रैल में तेजी से बढ़कर 8.8 अरब डॉलर हुआ
आरबीआई (RBI) समय-समय पर लिक्विडिटी मैनेज करने और रुपये की एक्सचेंज रेट में ज्यादा अस्थिरता को रोकने के लिए फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में हस्तक्षेप करता है. इस तरह के हस्तक्षेप का मकसद किसी विशिष्ट विनिमय दर स्तर को लक्षित करने के बजाय व्यवस्थित बाजार स्थितियों को बनाए रखना होता है. इस बीच, पिछले महीने के अंत में जारी आरबीआई के मासिक बुलेटिन के अनुसार, भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इस साल अप्रैल में तेजी से बढ़कर 8.8 अरब डॉलर हो गया, जबकि मार्च में यह 5.9 अरब डॉलर और अप्रैल 2024 में 7.2 अरब डॉलर था.
एफडीआई (FDI) का फ्लो का करीब आधा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस सर्विस सेक्टर से आया. बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि एफडीआई प्रवाह के मामले में भारत दुनिया में 16वें स्थान पर है और देश ने 2020 से 2024 के बीच डिजिटल इकोनॉमी में 114 अरब डॉलर का ग्रीनफील्ड निवेश आकर्षित किया है, जो ग्लोबल साउथ के सभी देशों में सबसे अधिक है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में भी मजबूत फ्लो देखा गया, मई 2025 में शुद्ध निवेश 1.7 अरब डॉलर का रहा, जिसका नेतृत्व शेयर बाजार ने किया.
भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम, अमेरिका-चीन व्यापार युद्धविराम और 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए उम्मीद से बेहतर कॉर्पोरेट आय जैसे सकारात्मक वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों से समर्थित, यह लगातार तीसरा महीना था जब शेयरों में तेजी आई. इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और पोर्टफोलियो भारतीय परिसंपत्तियों की ओर बढ़ा. (IANS से भी इनपुट)