trendingNow12824046
Hindi News >>बिजनेस
Advertisement

2026 में कैसी रहेगी देश इकोनॉमी, किस रफ्तार से दौड़ेगी GDP ? आ गई एक और रिपोर्ट

भारत की जीडीपी की रफ्तार को लेकर एक और अनुमान सामने आया है. भारत का जीडीपी ग्रोथ  2025 की अप्रैल-जून अवधि में 6.8 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है. वित्त वर्ष 26 में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

2026 में कैसी रहेगी देश इकोनॉमी, किस रफ्तार से दौड़ेगी GDP ? आ गई एक और रिपोर्ट
Bavita Jha |Updated: Jul 02, 2025, 04:35 PM IST
Share

Indian Economic Growth: भारत की जीडीपी की रफ्तार को लेकर एक और अनुमान सामने आया है. भारत का जीडीपी ग्रोथ  2025 की अप्रैल-जून अवधि में 6.8 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है. वित्त वर्ष 26 में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसकी वजह हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स का मजबूत होना है.  

एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च द्वारा हर महीने 100 इंडीकेटर्स फ्रेमवर्क को अपटेड किया जाता है. इसमें कई सेक्टर्स के हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स शामिल होते हैं जो देश के विकास की सही तस्वीर बताते हैं. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट में बताया गया था अप्रैल में 72 प्रतिशत इंडीकेटर्स ने सकारात्मक ग्रोथ दिखाई है और मई में यह आंकड़ा 67 प्रतिशत था.  

तिमाही आधार पर, 2025 की दूसरी तिमाही में 70 प्रतिशत इंडीकेटर्स ने सकारात्मक ग्रोथ दिखाई है, जबकि इस साल की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 67 प्रतिशत पर था.  रिपोर्ट में बताया गया अगर यह ट्रेंड जून में भी जारी रहता है तो जीडीपी की विकास दर अप्रैल-जनवरी अवधि में 6.8-7 प्रतिशत के बीच रह सकती है. 

एचएसबीसी ग्लोबल ने कहा, अनौपचारिक क्षेत्र खपत का नेतृत्व कर रहा है. मई में क्रमिक आधार पर प्रमुख संकेतकों में सकारात्मक वृद्धि हुई. इनमें दोपहिया वाहनों की बिक्री, नॉन-ड्यूरेबल वस्तुओं का उत्पादन, नॉन-सेस जीएसटी कलेक्शन, ग्रामीण व्यापार और वास्तविक ग्रामीण मजदूरी शामिल हैं. वहीं, औपचारिक क्षेत्र की खपत मिश्रित रही, कुछ संकेतक (पेट्रोल, उपभोक्ता आयात और टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन की मांग) मजबूत रही, जबकि अन्य जैसे यात्री वाहन बिक्री कमजोर रही है. 

रिपोर्ट में कहा गया, सरकारी खर्च में वृद्धि एक अतिरिक्त बोनस थी, जो न केवल खपत पर बल्कि पूंजीगत व्यय पर भी केंद्रित थी.  वित्त वर्ष 26 के अप्रैल-मई में भारत का पूंजीगत व्यय 54 प्रतिशत बढ़ा, जो मजबूत गैर-कर राजस्व और आरबीआई अधिशेष द्वारा संचालित था. रिपोर्ट के अनुसार, तीन डेटा बिंदु औपचारिक से अनौपचारिक की ओर एक तेज बदलाव को दर्शाते हैं.  पहला, अप्रत्यक्ष कर संग्रह (अनौपचारिक खपत के लिए प्रॉक्सी) लंबे इंतजार के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह से आगे निकल रहा है. दूसरा, समग्र ऋण वृद्धि धीमी हो रही है, लेकिन एमएसएमई की ऋण मांग बढ़ रही है. तीसरा, आरबीआई का कॉर्पोरेट डेटाबेस संकेत देता है कि छोटी फर्मों में वेतन वृद्धि बड़ी फर्मों से आगे निकल रही है. रिपोर्ट में कहा गया है मुद्रास्फीति में गिरावट ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. इसने वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार किया है, जिससे अनौपचारिक क्षेत्र की खपत बढ़ी है, जो उपभोग का दो-तिहाई हिस्सा बनाती है. आईएएनएस 

Read More
{}{}