LPG Gas shortage: भारत से 3000 किलोमीटर की दूरी पर जंग जारी है. ईरान-इजरायल के बीच में अमेरिकी की एंट्री हो चुकी है. अमेरिका ने आग में घी का काम किया, जिसके बाद से ईरान-इजरायल की जंग और भड़क गई है. गोली-बमबारी के बाद अब ईरान ने इस जंग ने होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है. अगर ये रास्ता बंद होता है कि तेल और गैस सप्लाई का संकट मंडराना तय है. दुनिया भर में तेल सप्लाई का 20 फीसदी आयात-निर्यात इसी रास्ते से होता है. इन सब कौतुहल के बीच भारत पर LPG सिलेंडरों की सप्लाई का संकट मंडरा रहा है.
सिर्फ 16 दिन का स्टॉक बचा
मिडिल ईस्ट टेंशन ने भारत में एलपीजी सिलेंडर का संकट पैदा कर दिया है. भारत में इस्तेमाल होने वाला तीन में दो सिलेंडर पश्चिम एशिया से आता है. अगर जंग जारी रही और सप्लाई चेन बाधित हुआ तो भारत के रसोई में चूल्हे जलने पर संकट पैदा हो सकता है. मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से एलपीजी सबसे ज्यादा असुरक्षित हो गया है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास एलपीजी का सिर्फ 16 दिन का स्टॉक बचा है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोलियम और प्रकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो भारत के पास आयात टर्मिनलों, रिफाइनरियों और बॉटलिंग प्लांट में जितना LPG स्टोर करने की क्षमता है वो देश के औसत खपत के हिसाब से सिर्फ 16 दिन ही चल जाएगा. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने दुनिया के सबसे ज़्यादा तेल उत्पादक क्षेत्र से आपूर्ति बाधित होने का खतरा बढ़ा दिया है.
भारत में LPG का कितना खपत
पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है, लेकिन सबसे बड़ा संकट एलपीजी गैस आपूर्ति को लेकर है. अगर ईरान और इजरायल का यु्द्ध जारी रहा तो तेल और रसोई गैस की सप्लाई रुक सकती है. भारत में एलपीजी खपत में तेजी आई है. चाहे उज्जवला योजना हो या गैस सब्सिडी बीते एक दशक में भारत में एलपीजी गैस की खपत दोगुनी रफ्तार से बढ़ी है. भारत में 33 करोड़ लोग एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं. भारत अपने खपत का 66 फीसदी हिस्सा विदेशों से आयात करता है. कुल आयात का 95 फीसदी पश्चिमी देशों जैसे सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात देश से आता है. ईरान-इजरायल युद्ध की वजह से गैस सप्लाई पर संकट मंडरा रहा है.
क्या होगा अगर नहीं टला ईरान-इजरायल का संकट
गैस के मुकाबले पेट्रोल-डीजल को लेकर स्थिति बेहतर है. पेट्रोल-डीजल के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक नहीं है, क्योंकि भारत पेट्रोल की अपनी घरेलू खपत का लगभग 40 फीसदी और डीजल का 30 फीसदी निर्यात करता है. जरूरत पड़ी तो निर्यात को रोककर देश की जरूरत को पूरा किया जा सकता है. लेकिन एलपीजी में स्थिति थोड़ी अलग है. अगर संकट नहीं टला तो भारत अमेरिका, यूरोप, मलेशिया और अफ्रीका के कुछ देशों से एलपीजी के वैकल्पिक स्त्रोतों का आयात कर जरूरत को पूरा कर सकता है. हालांकि ये इतना आसान नहीं है. पीएनजी सप्लाई को पाइपलाइन के जरिए 1.5 करोड़ों तक तो पहुंचाया जा सकता है, लेकिन 33 करोड़ एलपीजी कनेक्शनों को गैस आपूर्ति करने के लिए ये आसान नहीं है. ऐसे में लोगों को एलपीजी के विकल्प के बारे में सोचना होगा.