Hydrogen Train Update: भारतीय रेलवे का दुनियाभर में चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसके जरिये हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं. रेलवे में तकनीक से लेकर इंफ्रा तक पिछले कुछ सालों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. रेलवे (Indian Railways) डीजल से इलेक्ट्रिक इंजन में बदलाव के बाद एक और नई तकनीक अपनाने जा रहा है. रेलवे मंत्रालय जल्द हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को भारत में जाने की तैयारी कर रहा है. देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाई जा रही है.
ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में बड़ा कदम
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में बड़ा कदम होगी. इससे शून्य कार्बन उत्सर्जन (Zero Carbon Emission) का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. रेल मंत्रालय की तरफ से वित्त वर्ष 2023-24 में 2800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे 35 हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रेनों को डेवलप किया जाएगा. इन ट्रेनों के चलने से प्रदूषण कम होगा और यात्रियों को काफी सहूलियत मिल सकेगी. इस ट्रेन को तैयार करने का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है. इसके मार्च 2025 तक तैयार होने की संभावना है.
भारत में बनी हाइड्रोजन ट्रेन की दोगुनी क्षमता
इससे पहले, जनवरी में ICF के जनरल मैनेजर (GM) यू सुब्बाराव ने बताया था कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रेन सेट का निर्माण तेजी से हो रहा है. इसे 25 मार्च तक तैयार किया जा सकता है. दुनिया के बाकी देशों में बनी हाइड्रोजन ट्रेन की क्षमता 500 से 600 हॉर्सपावर (HP) होती है. लेकिन भारत ने इसमें नई उपलब्धि हासिल की है और देश में बनने वाली हाइड्रोजन ट्रेन का इंजन 1,200 HP का होगा. यह दुनिया में सबसे ज्यादा क्षमता वाला हाइड्रोजन ट्रेन इंजन है.
पहली हाइड्रोजन ट्रेन कहां चलेगी?
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को नॉर्दन रेलवे (Northern Railway) के दिल्ली डिवीजन को आवंटित किया गया है. यह ट्रेन 89 किमी लंबे जींद-सोनीपत रेल रूट पर चलाया जाएगा. देश के अंदर हाइड्रोजन ट्रेन का चलना कई मायनों में फायदेमंद होगा. सबसे पहले तो इस तरह की ट्रेन पर्यावरण के लिए फायदेमंद रहेगी. इस ट्रेन से किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा और प्रदूषण कम होगा.
दूसरा हाइड्रोजन एक स्वच्छ और रिसाइकिल्ड पावर स्रोत है, जिससे लंबे समय में यह ट्रेन डीजल और इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तुलना में ज्यादा किफायती हो सकती है. इसके अलावा भारतीय रेलवे सस्टेनेबल (Sustainable) ट्रांसपोर्टेशन की तरफ कदम बढ़ा रहा है, जिससे आने वाले समय में रेलवे और अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन सकेगा.