India GDP Growth: भारत की इकोनॉमी में पिछले दस सालों में करीब 100 फीसदी की ग्रोथ हुई. इसी रफ्तार के साथ साल 2025 के अंत तक भारत का ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी 4.27 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगी. ये बात हम नहीं बल्कि भारत की तरक्की को लेकर ये दावा इंटरनेशनल मोनेट्री फंड (IMF) ने की है. अपने एग्रीकल्चर, बिजनेस एक्सपेंशन, इनवेस्टमेंट और रोजगार में बढ़ोतरी, मेक इन इंडिया, पीएलआई, एमएसएमई लोन , टैक्स रिजीम जैसी सुविधाओं के दम पर भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. अब भारत की GDP ग्रोथ को लेकर रेटिंग एजेंसी ईवाई ने बड़ी बात कही है.
भारत की जीडीपी ग्रोथ
ईवाई का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में भारत का विकास दर 6.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगा. भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. ईवाई इकनॉमी वॉच के मुताबिक एक अच्छी तरह से संतुलित राजकोषीय रणनीति जो राजकोषीय विवेक को बनाए रखते हुए मानव पूंजी विकास का समर्थन करती है, दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाएगी.
ईवाई इकनॉमी वॉच के मार्च एडिशन में वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.अगले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसमें कहा गया है कि इसके लिए राजकोषीय नीति को देश की विकसित भारत की यात्रा के मिलाने की जरूरत है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पिछले महीने जारी संशोधित राष्ट्रीय लेखा खाता आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर अब क्रमश: 7.6 प्रतिशत, 9.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए तिमाही वृद्धि दर के संबंध में, तीसरी तिमाही की वृद्धि 6.2 प्रतिशत अनुमानित है. इसका अर्थ है कि एनएसओ द्वारा अनुमानित 6.5 प्रतिशत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि प्राप्त करने के लिए चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि की जरूरत होगी.
इस रिपोर्ट के मुताबिक अंतिम तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि के लिए निजी अंतिम उपभोग व्यय में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी. हाल के वर्षों में इतनी अधिक वृद्धि देखने को नहीं मिली है. इसका एक विकल्प निवेश व्यय में वृद्धि करना है, जिसमें सरकार की ओर पूंजीगत व्यय वृद्धि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसमें कहा गया है कि संशोधित अनुमानों के अनुसार, सरकार का राजकोषीय घाटा अनुदान की किसी भी अनुपूरक मांग से प्रभावित हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया, बढ़ती आबादी और विकसित आर्थिक ढांचे के साथ, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में अतिरिक्त निवेश दीर्घकालिक वृद्धि को बनाए रखने और मानव पूंजी परिणामों में सुधार करने के लिए आवश्यक हो सकता है. ईवाई इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो दशक में, भारत को अपने सामान्य सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यय को धीरे-धीरे बढ़ाने की आवश्यकता होगी, जिससे यह उच्च आय वाले देशों के करीब पहुंच सकता है.
विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की युवा आबादी और बढ़ती कार्यबल आवश्यकताओं को देखते हुए, सरकार द्वारा शिक्षा पर खर्च को वित्त वर्ष 2047-48 तक जीडीपी के मौजूदा 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने की आवश्यकता हो सकती है. बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच और परिणाम सुनिश्चित करने के लिए सरकार के स्वास्थ्य व्यय को इस दौरान 2021 के 1.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2047-48 तक 3.8 प्रतिशत करने की जरूरत होगी. भाषा