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भारत का अमेरिका को कड़ा जवाब: मिनी ट्रेड डील हमारी शर्तों पर होगी, ट्रंप की नहीं मानी जाएगी हर बात!

भारत और अमेरिका के बीच चल रही मिनी ट्रेड डील की बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह समझौता सिर्फ अमेरिका की शर्तों पर नहीं होगा.

भारत का अमेरिका को कड़ा जवाब: मिनी ट्रेड डील हमारी शर्तों पर होगी, ट्रंप की नहीं मानी जाएगी हर बात!
Shivendra Singh|Updated: Jul 07, 2025, 11:33 AM IST
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भारत और अमेरिका के बीच चल रही मिनी ट्रेड डील की बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह समझौता सिर्फ अमेरिका की शर्तों पर नहीं होगा. खेती और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को इस समझौते से बाहर रखा जाएगा और भारत अपनी घरेलू प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगा.

सूत्रों की मानें तो यह डील अब अंतिम चरण में है और 9 जुलाई से पहले इसके ऐलान की पूरी संभावना है. यह वही तारीख है जब अमेरिका की ओर से रिवर्स टैरिफ (जवाबी शुल्क) पर 90 दिन की रोक खत्म हो रही है. अगर समझौता नहीं होता है तो भारत से अमेरिकी बाजार में भेजे जाने वाले सामान पर 26% तक शुल्क लग सकता है, जिससे भारतीय एक्सपोर्टर्स को भारी नुकसान हो सकता है.

किन क्षेत्रों पर हो रही है बात?
अधिकारियों ने साफ किया है कि यह एक सीमित और अंतरिम समझौता होगा, जिसमें सिर्फ गुड्स ट्रेड (सामान के आदान-प्रदान) को शामिल किया जाएगा. सर्विस सेक्टर, कृषि और डेयरी जैसे जटिल और विवादास्पद मुद्दों को बाद की बातचीत के लिए छोड़ दिया गया है. एक अधिकारी के अनुसार, “यह एक शुरुआती समझौता है. कुछ मुद्दे सुलझेंगे तो आगे नए समझौते बन सकते हैं.”

भारत की रणनीति क्या है?
भारत इस डील को अपनी औद्योगिक ताकत और घरेलू किसान हितों के संतुलन के साथ देख रहा है. सरकार चाहती है कि कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उत्पादों के लिए अमेरिका के बाजार में आसान पहुंच मिले. भारत को उम्मीद है कि इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी बढ़ेगा. वहीं, अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि वह उसे जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलें और पशु आहार बेचने की मंजूरी दे. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसानों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता, खासतौर से तब जब अधिकतर किसान छोटे और सीमांत हैं.

ट्रंप के दबाव पर भारत का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि 9 जुलाई तक कोई समझौता नहीं होने पर अमेरिका उन देशों पर टैक्स लगाएगा जो अनुचित लाभ ले रहे हैं. लेकिन भारत इस दबाव में नहीं आ रहा है. सरकार ने ट्रंप की हर मांग मानने से इनकार कर दिया है और कहा है कि जो भी समझौता होगा, वह हमारी शर्तों और संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर ही होगा.

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