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शेयर बाजार फ‍िर कब पकड़ेगा रफ्तार, न‍िवेश करने वाले जान लें; ब्रोकरेज फर्म ने क‍िया दावा

मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि FY 2026 की तीसरी तिमाही में भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट के बजाय तेजी आने की ज्‍यादा संभावना है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म भारतीय इक्विटी पर आशावादी बनी हुई है.

शेयर बाजार फ‍िर कब पकड़ेगा रफ्तार, न‍िवेश करने वाले जान लें; ब्रोकरेज फर्म ने क‍िया दावा
Kriyanshu Saraswat|Updated: Jun 27, 2025, 03:21 PM IST
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Indian Stock Market Update: भारतीय शेयर बाजार में उठा-पटक का दौर चल रहा है. बाजार में तेजी कब आएगी, इसको लेकर काफी न‍िवेशक न‍िवेशक नजरें गढ़ाए बैठे हैं. FY 2026 की पहली त‍िमाही खत्‍म होने वाली है, अब जब दूसरी त‍िमाही शुरू होने वाली है तो न‍िवेशक यह जानना चाहते हैं क‍ि आने वाले समय में बाजार का क्‍या हाल रहेगा? इस बीच मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि FY 2026 की तीसरी तिमाही में भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट के बजाय तेजी आने की ज्‍यादा संभावना है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म भारतीय इक्विटी पर आशावादी बनी हुई है.

भारत में लगातार सुधार के संकेत दिख रहे

फर्म की तरफ से उम्मीद जताई गई क‍ि मजबूत विकास डेटा, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सहायक कदम और उम्मीद से बेहतर कॉर्पोरेट आय जुलाई से बाजार को ऊपर ले जाएगी. फर्म के अनुसार, भारत में लगातार सुधार के संकेत दिख रहे हैं. सरकारी खर्च बढ़ रहा है और आरबीआई अधिक सहायक या 'शांत' नीति रुख की ओर बढ़ रहा है. यह, महंगाई में कमी के साथ मिलकर शेयर बाजार के लिए अच्छा माहौल बना रहा है. ब्रोकरेज फर्म का यह भी मानना है कि कम ब्याज दरें बैंकों को अधिक उधार देने में मदद करेंगी, जिससे उधार वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा.

आरबीआई अभी और कर सकता है ब्‍याज दर में कटौती
इसके अलावा, अगर वैश्विक अनिश्चितताएं कम होती हैं, तो भारतीय कंपनियां नई परियोजनाओं में अधिक निवेश करना शुरू कर सकती हैं. आगामी कॉर्पोरेट आय सीजन एक प्रमुख ट्रिगर हो सकता है. मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि कई कंपनियां कम आधार तुलना, बेहतर दक्षता और उपभोक्ताओं की स्थिर मांग के कारण बाजार की उम्मीदों को पार कर जाएंगी. आगे देखते हुए, आरबीआई चौथी तिमाही में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, जो बाजार की धारणा को मजबूत करेगा. हालांकि, ब्रोकरेज ने यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक कारक भारत के बाजार की चाल में बड़ी भूमिका निभाते रहेंगे.

भारतीय शेयरों पर न‍िगेट‍िव असर भी पड़ सकता है
दुनियाभर में तनाव, व्यापार नीतियों में बदलाव या विकसित देशों में स्लोडाउन भारतीय शेयरों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. भले ही भारत को आम तौर पर अपेक्षाकृत स्थिर बाजार के रूप में देखा जाता है, लेकिन वैश्विक स्तर पर बड़ी बिकवाली से घरेलू इक्विटी पर असर पड़ेगा. उदाहरण के लिए, अगर तेल की कीमतों में तेज गिरावट आती है, तो यह वैश्विक आर्थिक संकट का संकेत हो सकता है, जो बाजारों के लिए अच्छा नहीं होगा. इन र‍िस्‍क के बावजूद, मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि खुदरा निवेशकों की मजबूत भागीदारी और निरंतर विदेशी रुचि किसी भी गिरावट को कम करने में मदद करेगी.

भारतीय इक्विटी को 'कम प्रीमियम' और जीएसटी में बदलाव और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास जैसे दीर्घकालिक सुधारों से भी लाभ होता है, जो निवेशकों के विश्वास को बढ़ाते हैं. हालांकि, मौजूदा वैल्यूएशन ऐतिहासिक स्तरों की तुलना में अधिक हैं, लेकिन ब्रोकरेज का मानना है कि मजबूत आय परिदृश्य को देखते हुए यह उचित है. मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि दीर्घावधि में भारत की स्थिर नीतियां और विकास क्षमता इसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आकर्षक बाजारों में से एक बनाती हैं. (IANS) 

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