भारत की रेलवे तकनीक ने एक और ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को घोषणा की कि चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफल परीक्षण किया गया है. यह कोच ड्राइविंग पावर कार है, जिसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है.
अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत अब 1200 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेन पर भी काम कर रहा है, जो देश को इस तकनीक में ग्लोबल लीडर्स की लिस्ट में शामिल करेगा.
क्या है हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन?
डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में हाइड्रोजन ट्रेनें कहीं ज्यादा पर्यावरण अनुकूल होती हैं. इनमें न तो धुंआ निकलता है और न ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषणकारी गैसें. यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर काम करती है, जिसमें हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है.
First Hydrogen powered coach (Driving Power Car) successfully tested at ICF, Chennai.
India is developing 1,200 HP Hydrogen train. This will place India among the leaders in Hydrogen powered train technology. pic.twitter.com/2tDClkGBx0
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 25, 2025
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि "Hydrogen for Heritage" नाम की योजना के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को हेरिटेज और हिल रूट्स पर चलाने की प्लानिंग बनाई गई है. एक ट्रेन पर अनुमानित लागत ₹80 करोड़ होगी, जबकि प्रत्येक रूट पर ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में ₹70 करोड़ का खर्च आएगा.
कहां चलेगी पहली हाइड्रोजन ट्रेन?
भारतीय रेलवे ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिंद–सोनीपत सेक्शन पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन फ्यूल से लैस करने का निर्णय लिया है. इसकी कुल लागत ₹111.83 करोड़ बताई गई है. यह तकनीक न केवल ईंधन की खपत में बदलाव लाएगी बल्कि नेट जीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य को भी मजबूती देगी.
क्यों खास है यह पहल?
हालांकि शुरुआती चरण में हाइड्रोजन ट्रेन की रनिंग कॉस्ट ज्यादा होगी, लेकिन जैसे-जैसे इसकी संख्या बढ़ेगी, लागत में गिरावट आएगी. सबसे बड़ी बात यह है कि यह कदम भारत को क्लीन एनर्जी और ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.