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मई में FPI ने 30,000 करोड़ से ज्‍यादा का निवेश क‍िये, डेट में भी जमकर खरीदारी

जनवरी से मार्च में हुई बिकवाली के कारण नेट एफपीआई इनवेस्‍टमेंट साल 2025 में 92,491 करोड़ रुपये के साथ नकारात्मक बना हुआ है. जनवरी से मार्च 2025 के बीच एफपीआई ने शेयर मार्केट में 1.16 लाख करोड़ रुपये की इक्‍व‍िटी बेची थी.

मई में FPI ने 30,000 करोड़ से ज्‍यादा का निवेश क‍िये, डेट में भी जमकर खरीदारी
Zee News Desk|Updated: Jun 02, 2025, 03:12 PM IST
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Indian Share Market: विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्‍व‍िटी और डेट मार्केट में मई में 30,000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का निवेश किया है. इस इनवेस्‍टमेंट की वजह अमेरिका से ट्रेड डील होने की संभावना, कमजोर अमेरिकी डॉलर और उम्मीद से अच्छी कॉरपोरेट आमदनी को माना जा रहा है. एनएसडीएल के डेटा के अनुसार मई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय इक्‍व‍िटी मार्केट और डेट मार्केट में कुल 30,950 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

तीन महीने में 1.16 लाख करोड़ रुपये की इक्‍व‍िटी बेची

इसमें से एफपीआई (FPI) ने 19,860 करोड़ रुपये इक्‍व‍िटी मार्केट में निवेश किये हैं. इससे पहले अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने 4,223 करोड़ रुपये निवेश किये थे. जनवरी से मार्च में हुई बिकवाली के कारण नेट एफपीआई निवेश (FPI Investment) 2025 में 92,491 करोड़ रुपये के साथ नकारात्मक बना हुआ है. जनवरी से मार्च 2025 के बीच एफपीआई ने शेयर मार्केट में 1.16 लाख करोड़ रुपये की इक्‍व‍िटी बेची थी.

डेट मार्केट से 24,384 करोड़ रुपये की निकासी की
एफपीआई (FPI) ने मई में डेट मार्केट में 12,155 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. इससे पहले अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट में 24,384 करोड़ रुपए की निकासी की थी. वहीं, डेट मार्केट में 2025 में शुद्ध रूप से 36,648 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हुआ है. भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार मजबूत बना हुआ है. देश की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है. वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत पर थी.

पूरे वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रही है. आईएमएफ (IMF) के अनुमान के अनुसार भारत की इकोनॉमी फाइनेंश‍ियल ईयर 2025-26 में 6 प्रतिशत से ज्‍यादा की तेजी के साथ विकास करने वाली एकमात्र अर्थव्यवस्था होगी. साथ ही कहा कि देश ऐसे समय पर तेजी से विकास कर रहा है, जब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं अमेरिकी टैरिफ के कारण उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं. (IANS) 

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