अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक और बिल भारतीयों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. अमेरिकी कांग्रेस ने हाल ही में ट्रंप समर्थित ‘न्यू ब्यूटीफुल बिल’ को मंजूरी दे दी है. इस बिल का असर लाखों भारतीयों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में रह रहे हैं या वहां काम कर रहे हैं. करीब 900 पेज के इस विशालकाय बिल में टैक्स कटौती, सोशल स्कीम पर खर्च में कमी, माइग्रेंट्स की डिपॉर्टेशन प्रक्रिया को तेज करने और हेल्थकेयर सेवाओं को महंगा बनाने जैसे कई प्रावधान शामिल हैं.
सबसे बड़ा असर उन भारतीयों पर पड़ेगा जो अमेरिका से भारत में अपने परिवार को पैसे भेजते हैं. इस बिल में एक नया 1% एक्साइज टैक्स प्रस्तावित है, जो कैश आधारित ट्रांसफर पर लागू होगा. यानी अगर कोई भारतीय अमेरिका से इंडिया में अपने परिवार को नकद के रूप में पैसे भेजता है, तो उसे 1% एक्स्ट्रा टैक्स देना होगा.
ज्ञान धन के को-फाउंडर अंकित मेहरा के मुताबिक, “ये टैक्स भले ही कम दिखाई दे रहा हो, लेकिन जो लोग हर महीने पैसे भेजते हैं, उनके लिए यह खर्च बढ़ा देगा. खासकर एजुकेशन लोन चुकाने वालों या मेडिकल इमरजेंसी में पैसा भेजने वालों को यह काफी भारी पड़ सकता है.” हालांकि, यह टैक्स बैंक अकाउंट या क्रेडिट/डेबिट कार्ड से किए गए ट्रांसफर पर लागू नहीं होगा.
SIGNED. SEALED. DELIVERED.
President Trump’s One Big Beautiful Bill is now LAW — and the Golden Age has never felt better. pic.twitter.com/t0q2DbZLz5
— The White House (@WhiteHouse) July 4, 2025
माइग्रेंट्स पर कड़ी नजर
बिल में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया है. $350 अरब डॉलर का बजट इस मद में रखा गया है, जिससे 1 लाख डिटेंशन बेड्स तैयार किए जाएंगे. इसके अलावा, 10,000 नए इमिग्रेशन ऑफिसर्स की नियुक्ति की जाएगी और हर साल 10 लाख अवैध प्रवासियों को देश से बाहर भेजने की योजना है. इसका सीधा असर उन भारतीयों पर पड़ सकता है, जिनका वीजा खत्म हो गया है या जिनके इमिग्रेशन कागजात पेंडिंग हैं.
इलाज और नौकरी दोनों पर संकट
बिल में यह भी प्रस्ताव है कि अमेरिका में मेडिकल सर्विसेज के लिए हर विजिट पर $35 (करीब ₹3,000) चुकाने होंगे. इससे कम इनकम वाले प्रवासी भारतीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. साथ ही, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और रिन्यूएबल एनर्जी पर मिलने वाली टैक्स सब्सिडी में कटौती का प्रस्ताव भी रखा गया है. इसका असर उन भारतीयों पर पड़ेगा जो इन क्षेत्रों में रिसर्च, इंजीनियरिंग या अन्य पेशेवर भूमिकाओं में काम कर रहे हैं.
ट्रंप-मस्क विवाद भी सुर्खियों में
दिलचस्प बात यह है कि इसी बिल को लेकर ट्रंप और टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क के बीच तनातनी भी हुई. मस्क ने कहा कि उन्हें इस बिल की जानकारी नहीं दी गई थी और उन्होंने ट्रंप प्रशासन से नाता तोड़ लिया.