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IndiGo Success Story: उधारी के विमान से लेकर दो लाख करोड़ की कंपनी तक, आसान नहीं रहा इंड‍िगो का सफर

IndiGo Share Price: इंड‍िगो की शुरुआत राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर 2006 में की थी. दोनों दोस्‍त कंपनी की शुरुआत से पहले कई बड़ी कंपनियों में काम कर चुके थे. इस फील्‍ड में अच्‍छी जानकारी होने के कारण दोनों ने अपने बि‍जनेस को रफ्तार दे दी. 

IndiGo Success Story: उधारी के विमान से लेकर दो लाख करोड़ की कंपनी तक, आसान नहीं रहा इंड‍िगो का सफर
Kriyanshu Saraswat|Updated: Apr 10, 2025, 10:22 AM IST
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IndiGo Success Story: देश की बजट एयरलाइन कंपनी इंडिगो (IndiGo) ने इतिहास रच दिया है. डेल्टा एयर लाइंस और रायन एयर जैसी इंटरनेशनल कंपन‍ियों को पीछे छोड़ते हुए इंड‍िगो दुन‍ियाभर की सबसे बड़े मार्केट कैप वाली एयरलाइन बन गई है. एयरलाइन के शेयर में शानदार तेजी के दम पर इंड‍िगो का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ रुपये हो गया. दुन‍ियाभर के बाजार में ग‍िरावट के बीच भी बुधवार को एयरलाइन का शेयर एक प्रत‍िशत चढ़कर बंद हुआ. इंडिगो का देश के 60 प्रत‍िशत से ज्‍यादा एयरलाइन मार्केट पर कब्‍जा है. कंपनी व‍िदेश में भी अपना ब‍िजनेस बढ़ाने पर फोकस कर रही है. लेक‍िन क्‍या आपको पता है इंड‍िगो की शुरुआत कैसे हुई?

साल 2006 में हुई इंड‍िगो की शुरुआत

मार्केट कैप के ल‍िहाज से दुन‍िया की सबसे बड़ी एयरलाइन का तमगा हास‍िल करने वाली इंड‍िगो की शुरुआत साल 2006 में हुई थी. घरेलू यात्र‍ियों को ध्‍यान में रखकर शुरू की गई इस एयरलाइन की घरेलू बाजार में 60 प्रत‍िशत से भी ज्‍यादा की हिस्‍सेदारी है. इंड‍िगो को राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर शुरू क‍िया था. दोनों ही दोस्‍त कंपनी की शुरुआत से पहले कई बड़ी कंपनियों में काम कर चुके थे. यही कारण था क‍ि उन्‍हें इस बारे में अच्‍छा खासी जानकारी थी.

भारी संकट से जूझ रहा था एविएशन सेक्‍टर
नौकरी करने के दौरान राहुल ने राकेश के सामने एयरलाइन कंपनी खोलने का प्रस्‍ताव रखा. दोनों ने म‍िलकर इस पर काम क‍िया और साल 2004 में इंड‍िगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन की शुरुआत की. जिस दौरान दोनों ने म‍िलकर इंडिगो को शुरू क‍िया, उस समय एविएशन सेक्‍टर भारी संकट से जूझ रहा था. इसके बावजूद दोनों अपने मन में आए व‍िचार को पूरा करने के ल‍िए पूरे जी जान से जुट गए. इसी साल उनकी कंपनी को एयरलाइन शुरू करने का लाइसेंस मिल गया. बात व‍िमानों की आई तो कंपनी के पास ये मौजूद नहीं थे और वे दोनों 2006 तक सर्व‍िस शुरू नहीं कर सके.

उधारी के व‍िमानों से हुई इंड‍िगो की शुरुआत
शुरुआत में काफी मेहनत के बाद भी दोनों को एयरलाइन शुरू करने में कामयाबी नहीं म‍िल सकी. लेक‍िन 2006 में गंगवाल ने अपनी जान पहचान के दम पर इंड‍िगो को एयरबस से उधारी पर 100 विमान द‍िला द‍िये. इस डील के बाद इंड‍िगो की 4 अगस्‍त 2006 से धमाकेदार शुरू हो गई और कंपनी ने उड़ान भरनी शुरू कर दी. यह दौर एयरलाइन कंपन‍ियों के लि‍ए मुश्‍क‍िल भरा था. बड़ी कंपन‍ियों के बीच अपना पहचान बनाने और मार्केट कैप्‍चर करने की होड़ थी.

इस ट्र‍िक से म‍िली कामयाबी
मार्केट कंप्‍टीशन के बीच इंड‍िगो ने एक प्‍लान तैयार क‍िया और अपना टारगेट कस्‍टमर सेट किया. कंपनी ने शुरुआत में ऐसे लोगों पर फोकस किया जो हवाई सफर करना तो चाहते थे लेक‍िन उनके पास इसके ल‍िए ज्‍यादा पैसा नहीं होता था. इस प्‍लान के साथ शुरू क‍िया गया इंडिगो का ब‍िजनेस चल पड़ा. एयरलाइन की ट‍िकट की भी खूब ब‍िक्री हुई. एयरलाइन को नुकसान भी नहीं हुआ. कंपनी ने अपने बेड़े में एक के बाद एक शहर के ल‍िए एयरलाइन बुक की और कम कीमत में लोगों को हवाई सफर कराना शुरू कर दिया. एयरलाइन ने उन लोगों को भी हवाई सफर करने का मौका द‍िया जो हवाई चप्‍पल पहनते थे.

कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी में बताया गया क‍ि उसे उम्मीद है कि फाइनेंश‍ियल ईयर 2030 तक उसकी हवाई क्षमता में विदेशी उड़ान का हिस्सा 40 प्रतिशत होगा. फाइनेंश‍ियल ईयर 2025 में यह करीब 28 प्रतिशत है. एयरलाइन का प्‍लान वित्त वर्ष 2026 में मौजूदा 439 विमानों के बेड़े में करीब 50 और विमान जोड़ने की है. कंपनी अधिकारियों ने अगले वित्त वर्ष में अपनी हवाई क्षमता में 10 प्रतिशत से ज्‍यादा बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया है. इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड ने FY 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर 2024) में 2,449 करोड़ का मुनाफा कमाया. इंटरग्लोब एविएशन की तीसरी तिमाही की कमाई में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 22111 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, पिछले साल इसी अवधि में यह 19,452 करोड़ रुपये थी.

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