Inflation Rate: फूड प्रोडक्ट की कीमत में कमी के कारण देश में मुख्य महंगाई दर अगली दो तिमाहियों में रिजर्व बैंक (RBI) के 4 प्रतिशत के टारगेट से नीचे रहने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट के अनुसार महंगाई में हालिया नरमी खाद्य कीमतों में कमी के कारण आई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई जून 2025 में घटकर 2.1 प्रतिशत रह गई है, जो जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला लेवल है. रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले समय में महंगाई दर कम रहने की संभावना है, लेकिन तीसरी तिमाही से इसमें ग्रोथ शुरू हो सकती है.
रेपो रेट में फिर आ सकती है गिरावट
दूसरी तरफ एसबीआई रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई की तरफ से अगस्त की एमपीसी में फिर से रेपो रेट कम कर सकता है. चालू वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आधार प्रभाव के कम होने पर यह 4 प्रतिशत के लेवल को पार कर सकती है. फाइनेंशियल ईयर 26 के लिए रेटिंग्स एजेंसी को उम्मीद है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई औसतन करीब 3.1 प्रतिशत रहेगी, जो आरबीआई (RBI) के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम है. रिपोर्ट में कहा गया हालांकि, वित्त वर्ष 26 में कम बेस के कारण, वित्त वर्ष 27 में महंगाई करीब 4.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है.'
महंगाई में कमी करने में मदद मिलेगी
जून में महंगाई दर में भारी गिरावट का कारण सब्जियों, दाल, मसालों और मांस सहित फूड प्रोडक्ट और पेय पदार्थों की कीमत में कमी रही. हालांकि, खाद्य तेलों और फलों की कीमत में दोहरे अंक में महंगाई जारी रही. रिपोर्ट के अनुसार भारत की आयात पर निर्भरता के कारण खाद्य तेल की ऊंची कीमत चिंता का विषय बनी हुई हैं और सीमा शुल्क में हालिया कटौती और खरीफ की अच्छी बुवाई से आने वाले महीनों में दबाव कम करने में मदद मिलेगी.
हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई आगामी अगस्त मौद्रिक नीति बैठक में दरों को यथावत रख सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और डॉलर के मजबूत होने के साथ, केंद्रीय बैंक पहले की दरों में कटौती के प्रभाव का आकलन करने के लिए वेट एंड वॉच का आउटलुक अपना सकता है. ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद, भारत के एक्सटर्नल सेक्टर की स्थिति मजबूत बनी हुई है और विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर पर है और वित्त वर्ष 26 में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. (IANS)