India US Tariff Tension:अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी और सबसे ताकतवर देश है. 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी वाले देश के राष्ट्रपति इन दिनों टैरिफ का हंटर चलाकर वसूली कर रहे हैं. डेटा की माने तो रिसिप्रोकल टैरिफ की बदौलत अमेरिका ने मोटी कमाई कर ली है. बीबीसी के मुताबिक टैरिफ से अमेरिका के खजाने में जुलाई 2025 तक 152 अरब डॉलर यानी करीब 13.31 लाख करोड़ रुपये जमा हो गए हैं. पिछले साल ये आंकड़ा 78 अरब डॉलर का था. यानी ट्रंप ने टैरिफ की बदौलत अमेरिका की कमाई दोगुनी तो कर दी, लेकिन उन्होंने न केवल उन देशों के साथ संबंध को बिगाड़ लिए,जिनसे वो कारोबार कर रहे हैं, बल्कि खुद अपने लोगों को भी महंगाई की आग में झोंक दिया है. दरअसल अमेरिका की इकोनॉमी में बड़ा हिस्सा विदेशी सामानों का है. अमेरिकियों की रोजमर्रा की जिंदगी विदेशी आयात पर टिकी है. जिस तरह ने ट्रंप टैरिफ के रथ पर सवार है, वो कमाई तो कर रहे हैं, लेकिन अपने लोगों को महंगाई का दर्द देकर. अमेरिका फर्स्ट और के चक्कर में वो अमेरिकियों को ही महंगाई के दलदल में धकेल रहे हैं.
अमेरिकी थाली में विदेशी पकवान
बाकी सब छोड़ दें, अगर सिर्फ अमेरिका में लोगों की खाने की थाली ही देख लें तो समझ जाएंगे कि कैसे अमेरिकी थाली विदेशी पकवानों से तैयार हो रही है. अमेरिका को फिर से महान बनाने का नारा देने वाले ट्रंप के रोजाना खाने की थाली भी भारत, कनाडा, थाईलैंड, इंडोनेशिया...जैसे तमाम देशों के सामानों से तैयार होती है. अगर व्यापार आंकड़ों को देखें तो अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े खाद्य आयातकों में से एक है. दुनिया के अलग-अलग देशों से वो खाने-पीने की चीजें खरीदता है, जिसमें फल, सब्जियां, नट्स, समुद्री भोजन, चीनी, कॉफी, कोको, चावल, रबर, और प्रसंस्कृत और पैकेज्ड फूड आइटम्स हैं.
अमेरिका उगाता कम, खरीदता ज्यादा है.
चूंकि अमेरिका उगाता कम और खाने-पीने की चीजें खरीदता ज्यादा है, इसलिए इस टैरिफ वॉर से उसे मुनाफा तो हो रहा है, लेकिन आम जनता की मुश्किल बढ़ रही है. हैरानी की बात तो ये है कि अमेरिका ने उन देशों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया है, जिसने उनका सबसे ज्यादा कारोबार या यूं कहें कि सबसे ज्यादा आयात है. कनाडा इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. अमेरिका कनाडा से सबसे ज्यादा सामान आयात करता है, लेकिन ट्रंप ने उसपर 35% टैरिफ लगा दिया. अगर इंपोर्ट लिस्ट देखें तो अमेरिका कनाडा से मशरूम, मीट, सुअर का मीट, मछली, लॉबस्टर, केकड़े, कैनोला ऑयल, गेहूं, ओट्स, मैपल, जूस, सिपल, मछली जैसी जरूरी खाद्य चीजें खरीदता है. अमेरिका के कुल आयात में कनाडा की हिस्सेदारी 12.6 फीसदी की है. इसके बाद मैक्सिको, जो अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है, जहां से वो टमाटर, एवोकाजो, पालक, प्लाज, आम, तरबूज जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदता है, लेकिन उसपर 25 फीसदी टैरिफ ठोक दिया गया.
अमेरिका भारत से क्या-क्या खरीदता है
अमेरिका भारत से खरीदता ज्यादा है और बेचता कम है. अगर लिस्ट देखें तो अमेरिकी थाली में भारत का बासमती चावल, नॉन बासमती चावल, शहद, डेयरी प्रोडक्ट, फल-सब्जियां, आम, काजू, केसीन, मिलेट्स जैसी चीजें खरीदता है. अमेरिका की शॉपिंग लिस्ट में न्यूजीलैंड से दूध सप्लाई, नीदरलैंड्स से कोको पाउडर, स्पेन का रिफाइन तेल, स्विट्जरलैंड से रोस्टेड कॉफी, थाईलैंड से चावल, वियतनाम से काली मिर्च, काजू है तो वहीं अमेरिका सबसे ज्यादा झींगा मछली भारत से खरीदता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में अमेरिका ने भारत से 2.7 अरब डॉलर का फ्रोजन झींगा खरीदा, फिर भी उसने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. अमेरिका की थाली में ऑस्ट्रेलिया से भेड़ का मांस, ब्राज़ील से संतरे का जूस, चीन का सेब का जूस और फ्रोजन फिश , चिली से अंगूर और पोल्ट्री, आयरलैंड से मक्खन, इटली से चीज और ऑलिव ऑयल जैसे सामान भरे हुए हैं.
अमेरिकी जनता पर महंगाई की मार
टैरिफ का हंटर चला रहे ट्रंप जरा बताएं कि क्या अमेरिका इतनी खेती करता है कि वो अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा कर सके ? क्या अमेरिकियों का पेट भरने के लिए उनके पास पर्याप्त अनाज है ? क्या वहां की जलवायु और ज़मीन ऐसी है कि वो खाने-पीने की चीजें उगा सके ? जवाब है नहीं, यानी कुल मिलाकर अमेरिका का पेट विदेशी सामानों से भरता है. अमेरिका को तेल से लेकर टमाटर तक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में टैरिफ बढ़ाकर ट्रंप अपने लोगों पर महंगाई बढ़ा रहे हैं. टैरिफ से अमेरिका का खजाना तो भरेगा, लेकिन आयात कर आई चीजें महंगे दामों पर मिलेगी. आम अमेरिकी की जेब और रसोई पर इसका असर पड़ेगा.