84 Hour Work in a Week: आप शायद एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) की उस बात को भूले नहीं होंगे, जब उन्होंने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कही थी. नारायण मूर्ति की तरफ से इस सुझाव को दिये जाने के बाद कॉर्पोरेट सेक्टर में उनका काफी विरोध हुआ था. लेकिन अगर कोई 70 की बजाय 84 घंटे काम करने की सलाह दें तो आप क्या कहेंगे. जी हां, अब कोटेक एएमसी ने सीईओ नीलेश शाह ने भारतीयों को देश के विकास में तेजी लाने के लिए आमदनी को बढ़ाने के लिए हफ्ते में 84 घंटे काम करना चाहिए.
पॉडकास्ट के दौरान यह बात कही
शाह ने 'इन्वेस्ट आज फॉर कल विद अनंत लड्ढा' पॉडकास्ट के दौरान यह बात कही है. उन्होंने कहा भारत के विकास के लिए लंबे समय तक काम करना फायदेमंद रहेगा. उन्होंने कहा, 'चार्ली मुंगेर ने अपनी एक किताब में लिखा है कि कोरिया के लोगों की एक पीढ़ी ने हफ्ते में 84 घंटे तक काम किया. यानी हर महीने, हर साल, हर दिन 12 घंटे के हिसाब से काम किया है.'
हायर इनकम क्लॉस वाली कैटेगरी के लिए यह करना होगा
पिछले दिनों नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कही थी, उनकी तरफ से यह सलाह दिये जाने की काफी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि भारतीयों की युवा पीढ़ी को कोरियाई, चीनी और जापानी लोगों की तरह मेहनत करने की जरूरत है. अगर हम मेहनत करेंगे तो इसमें कोई शक नहीं कि भारत का विकास जारी रहेगा, रफ्तार तेज होगी और ऐसा समय आएगा जब भारत में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा. हम सभी मिडिल और हायर इनकम क्लॉस वाली कैटेगरी में स्थानांतरित कर देंगे.'
एक पीढ़ी को तो मेहनत करनी पड़ेगी
शाह की तरफ से दिये गए सुझाव का इकोनॉमिस्ट संजीव सन्याल ने भी सपोर्ट किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा और आने वाली पीढ़ी को देश के भविष्य के लिए मेहनत करनी होगी. साथ ही परिवार को भी आगे बढ़ाना होगा. सन्याल ने 12 घंटे काम के विचार को करने लायक बताया है. सन्याल ने ट्वीट किया कि एक पीढ़ी को इतनी मेहनत तो करनी पड़ेगी. यह मुमकिन है कि हम ही वही पीढ़ी हैं जो इस काम को कर सकते हैं.
Infosys के को-फाउंडर और पूर्व चेयरमैन नारायण मूर्ति ने भारत की कार्यक्षमता बढ़ाने के बारे में अपनी राय देते हुए काम-काज और निजी जिंदगी के बीच संतुलन पर बहस खड़ी कर दी. Infosys के पूर्व वित्तीय प्रमुख (CFO) मोहनदास पाई के साथ बातचीत के दौरान, मूर्ति ने इस पर जोर दिया कि युवाओं को कम से कम हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए. उनका मानना है कि देश को चीन और जापान जैसे देशों के साथ कंप्टीशन में बने रहने के लिए ऐसा करना जरूरी है.