Madhabi Puri Buch: देश की पहली महिला सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हो रही हैं. वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय उनकी जगह लेंगे. बुच हाल ही में कथित हितों के टकराव को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चा में रही हैं. सेबी की लीडरशिप करने वाली पहली महिला बुच ने 2 मार्च 2022 को तीन साल के लिए पदभार संभाला था. वह अप्रैल 2017 से एक मार्च 2022 तक सेबी की फुल टाइम मेंबर भी रहीं. बुच ने पूर्व आईएएस अधिकारी अजय त्यागी की जगह ली थी, वह एक मार्च 2017 से 28 फरवरी 2022 तक, पांच साल तक इस पद पर रहे थे.
हिंडनबर्ग और कांग्रेस ने उनपर कई आरोप लगाए
बुच ने अपने टेन्योर में इक्विटी के तेजी से निपटान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) खुलासे में वृद्धि और म्यूचुअल फंड पैठ बढ़ाने जैसे सेक्टर में अहम ग्रोथ की. लेकिन उनके टेन्योर के अंतिम वर्ष में काफी विवाद हुआ जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘कामकाज के गलत तरीकों’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. साथ ही अमेरिका की रिसर्च एंड इनवेस्टमेंट कंपनी हिंडनबर्ग और विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उनपर कई आरोप लगाए थे. हालांकि, हिंडनबर्ग ने अपना बिजनेस समेटने की इसी महीने घोषणा की है.
अगस्त में इस्तीफा देने का दबाव बना था
बुच पर पिछले साल अगस्त में इस्तीफा देने का दबाव था, जब हिंडनबर्ग ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था, जिससे अडानी ग्रुप में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच नहीं हो सकी. हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर विदेशी संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर एक कोष संरचना का हिस्सा थे जिसमें अडानी ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था.
तुहिन कांत पांडेय होंगे नए सेबी चीफ
बुच ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि ये निवेश उनके नियामक का प्रमुख बनने से पहले किए गए थे और उन्होंने खुलासे के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया था. सरकार ने हालांकि अपनी ओर से पब्लिकली यह नहीं बताया कि क्या उसने बुच से स्पष्टीकरण मांगा था या नहीं. कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस नोट के अनुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडेय को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का चेयरमैन नियुक्त किया है.
तुहिन कांत पांडेय की नियुक्ति पदभार संभालने की तारीख से शुरू में तीन साल या अगले आदेश तक, इनमें से जो भी पहले हो, के लिए की गयी है. सेबी अधिनियम के अनुसार, सेबी प्रमुख की नियुक्ति अधिकतम पांच वर्ष या 65 साल की उम्र तक (जो भी पहले हो) के लिए की जाती है. कई बार सरकार शुरू में सेबी प्रमुख की नियुक्ति तीन साल के लिए करती है. हालांकि, कार्यकाल को दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है.