Jio BlackRock Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हास ही में एप्पल के सीईओ को धमकी दी कि वो भारत में अपना कारोबार समेटे, वरना 25 फीसदी टैरिफ का सामना करे. ट्रंप टैरिफ की तलवार से अमेरिकी कंपनियों को भारत से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी ये चाल काम करती नहीं दिख रही. एक और बड़ी अमेरिकी कंपनी भारत के दरवाजे पर खड़ी है. जियो फाइनेंशियल और ब्लैकरॉक के ज्वाइंट वेंचर को म्यूचअल फंड बिजनेस शुरू करने के लिए सेबी की हरी झंडी मिल गई है. इस मंजूरी के साथ ही रिलायंस के साथ मिलकर दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक भारत में अपना कारोबार करने आ रही है. जियोब्लैकरॉक एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भारत में जल्दी ही म्यूचुअल फंड बिजनस शुरू करेगी. इस साझेदारी के साथ ही अंबानी 70 लाख करोड़ के बिजनेस पर निशाना लगाएंगे.
70 लाख करोड़ के बिजनेस पर नजर
ब्लैकरॉक जियो के साथ मिलकर म्यूचुअल फंड बिजनेस में उतरने जा रही है. इस साझेदारी के साथ ही भारत में कारोबार के लिए ब्लैकरॉक की एंट्री हो रही है. इस साझेदारी और भारत में कारोबार की शुरुआत की जिम्मेदारी ब्लैकरॉक ने सिड स्वामीनाथन सौंपी है. ये तो तय है कि जियो ब्लैकरॉक डील के साथ भारतीय म्यूचुअल फंड के कारोबार में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे.
भारत में कारोबार करने आ रहा है सबसे ताकतवर शख्स
ब्लैकरॉक दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है. कंपनी 11.58 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार मेनटेंन करती है. अगर इसकी तुलना भारत के जीडीपी से करें तो यह भारत की जीडीपी का करीब तीन गुना है. इस कंपनी के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के कुल शेयरों और बॉन्ड्स का 10 फीसदी हिस्सा ब्लैकरॉक ही संभालती है. अगर ये कहें कि ब्लैकरॉक दुनिया का सबसे बड़ा शेडो बैंक तो भी गलत नहीं होगा. दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों में इससी हिस्सेदारी है. इस कंपनी की कमान ब्लैकरॉक के सीईओ और चेयरमैन लैरी फिंक के हाथों में है.
आधे अमेरिका पर कब्जा, फिर भी अमीरों की लिस्ट में नाम नहीं
ब्लैकरॉक की हैसियत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अमेरिका की जीडीपी से आधे से कम की संपत्ति इस कंपनी के पास है. ब्लैकरॉक के पास 11.6 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति है, वहीं अमेरिका की जीडीपी 30 ट्रिलियन डॉलर है. मतलब ये कि अमेरिका की GDP से आधे से कम ब्लैकरॉक के पास एसेट है. अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी संपत्ति के बावजूद लैरी फिंक का नाम अरबपतियों की लिस्ट में क्यों नहीं है. दरअसल ब्लैकरॉक एसेट मैनेजमेंट बिजनेस के पास जो पैसा है वो जनता की जमापूंजी है, जो म्यूचुअल फंड या अन्य मार्केट रिलेटेड स्कीम में लोगों की ओर से ब्लैकरॉक में लगाया है.
कैसे हुई ब्लैकरॉक की शुरुआत
लॉरेंस डी फिंक ने अपने 7 दोस्तों के साथ मिलकर साल 1988 में ब्लैकरॉक की शुरुआत की थी. 37 साल तक फर्म की जिम्मेदारी संभाली और ब्लैकरॉक को दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी बना दिया. अब इस कंपनी ने भारत का रूख किया है. दरअसल भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. इस एसेट अंडर मैनेजमेंट का दायरा 70 लाख करोड़ रुपये तक फैल चुका है. जियोब्लैकरॉक की नजर तेजी से फैसले इस सेक्टर पर है. पिछले 10 सालों में इस सेक्टर में 18 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ दर्ज किया गया है.